कावेरी मुद्दे पर सिद्धरमैया की पीएम से अपील, संबंधित राज्यों की बुलाएं बैठक
तमिलनाडु को कावेरी नदी के जल छोड़ने के मुद्दे पर कर्नाटक के कई संगठन जमकर विरोध कर रहे हैं।मांड्या से शुरू हुए विरोध का असर अब बेंगलुरु में भी दिखायी ...और पढ़ें
बेंगलुरु। कावेरी जल के मुद्दे पर बेंगलुरु में जनजीवन पर गहरा असर पड़ा है। इस बीच कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया ने पीएम को खत लिखकर संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक की अपील की है। प्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक हर रोज तमिलनाडु को 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़ रहा है। लेकिन मांड्या से शुरू हुआ विरोध राजधानी बेंगलुरु तक पहुंच चुका है।कन्नड़ संगठनों के आज बंद का ऐलान किया है। बेंगलुरु में सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। बसों के पहियों पर ब्रेक लग गया है।प्रदर्शनकारियों ने राज्य में तमिल चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी है।
बंद से एयरपोर्ट पर असर
बंद का असर बेंगलुरु के एयरपोर्ट पर भी पड़ा है। बताया जा रहा है कि कई यात्री एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं। ऐहतियात के तौर पर स्कूल और कॉलेज बंद हैं।‘ विपक्षी पार्टियां- भाजपा और जद (एस) ने भी बंद का समर्थन किया है। अधिकांश आइटी कंपनिया जैसे इंफोसिस व विप्रो ने भी आज छुट्टी की घोषणा की है। 25,000 पुलिस के जवान बेंगलुरु में तैनात किए गए हैं।
तस्वीरें: कावेरी मुद्दे पर बेंगलुरु में बंद का ऐलान, यात्री एयरपोर्ट पर फंसे
पीएम मोदी से मिलेंगे देवगौड़ा
राज्य की कांग्रेस सरकार ने शांति की अपील की है।विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी विरोध का समर्थन कर रही है।जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शुक्रवार को मिलने वाले हैं। वह पीएम के सामने राज्य का पक्ष रखेंगे।
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कन्नड़ संगठनों का विरोध
कन्नड़ संगठनों के बंद को कई राजनीतिक दल भी समर्थन दे रहे हैं। आवश्यक सेवाएं जैसे दूध, एंबुलेंस, दवा की दुकानें और अस्पताल इससे प्रभावित नहीं होंगे लेकिम पब्लिक ट्रांसपोर्ट- बीएमटीसी व केएसआरटीसी की बसें, ऑटो रिक्शा, टूरिस्ट कैब व एयरपोर्ट कैब सड़क पर नहीं उतरेंगी। नम्मा मेट्रो भी बंद होगा। हालांकि एप आधारित टैक्सी सर्विसेज ने कहा कि वे हमेशा की तरह अपनी सर्विस जारी रखेंगे। दक्षिण पश्चिम रेलवे ने कहा कि कोई ट्रेन कैंसिल नहीं होगी।
मांड्या-मैसूर में भी विरोध
कर्नाटक के किसानों के भारी विरोध के बाद ऐहतियातन कृष्णाराजा सागर डैम को चार दिन के लिए बंद कर दिया गया था। इसके अलावा वृंदावन गार्डेन को भी बंद कर दिया गया था। कर्नाटक के किसानों का कहना है कि राज्य सरकार उनके प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। एकतरफ मैसूर-मांड्या के इलाकों में सिंचाई की दिक्कत के साथ-साथ पीने की पानी की दिक्कत है। लेकिन कर्नाटक सरकार को इससे मतलब नहीं है।
ये था सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को निर्देश दिया है कि तमिलनाडु के किसानों की दिक्कतें दूर करने के लिए वह अगले 10 दिन तमिलनाडु को 15000 क्यूसेक पानी छोड़े। इस निर्देश के बाद कावेरी पर विवाद गरमा गया जिसके मद्देनजर नौ सितंबर तक कृष्णराजसागर बांध के इर्दगिर्द निषेधाज्ञा लगा दी गई और वहां आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। पुलिस ने बताया कि मांड्या में प्रदर्शनकारियों ने अनेक सरकारी दफ्तरों में तोड़फोड़ की और उसे बंद करने के लिए बाध्य कर दिया।

कर्नाटक ने कहा,’नहीं है पर्याप्त पानी’
कर्नाटक का कहना है कि इसके पास पीने व खेती करने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने शांति की अपील की है।
सर्वदलीय बैठक में हुआ था पानी देने का फैसला
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एक सर्वदलीय बैठक बुलायी थी। उनके अनुसार, कर्नाटक सरकार के समक्ष पेश आ रही गंभीर कठिनाइयों के बावजूद राज्य सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप पानी छोड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य एक नई याचिका के साथ सु्प्रीम कोर्ट जाएगा। साथ ही कावेरी निगरानी समिति के समक्ष भी जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के तहत प्रतिबद्ध राज्य के लिए सुप्रीम कोर्ट को दरकिनार करना या पानी जारी करने से मना करना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि भारी मन के साथ यह निर्णय किया गया है कि तमिलनाडु को पानी दिया जायेगा जबकि हमारे राज्य को खुद गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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