क्या अभियुक्त को आवाज का नमूना देने को बाध्य किया जा सकता है
इस मामले में शिकायतकर्ता ने पुलिस को मोबाइल पर की गई रिकार्डिग दी जिसमें अभियुक्त एएसआइ ने उससे रिश्वत मांगी थी।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। क्या अभियुक्त को आवाज का नमूना देने के लिए कोर्ट बाध्य कर सकता है। क्या अभियुक्त की आवाज के नमूने को आइडेन्टीफिकेशन आफ प्रिजनर एक्ट के तहत प्रमाण के तौर पर लिया जा सकता है। कानून के इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर सुप्रीमकोर्ट विचार करेगा। कोर्ट ने मामले में विचार का मन बनाते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है साथ ही रिश्वतखोरी के आरोपी हरियाणा के पूर्व सहायक सब इंस्पेक्टर की आवाज का नमूना लेने के हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
ये आदेश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने वकील डीके गर्ग की दलीलें सुनने के बाद जारी किये। कोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। इससे पहले डीके गर्ग ने मामले पर बहस करते हुए कहा कि अभियुक्त को आवाज का नमूना देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
आइडेन्टीफिकेशन आफ प्रिजनर एक्ट 1920 में प्रमाण (मेजरमेंट) की परिभाषा में भी आवाज का नमूना शामिल नहीं है और न ही ये सीआरपीसी की धारा 53 के स्पष्टीकरण में ही शामिल है। ऐसे में कोर्ट अभियुक्त को आवाज का नमूना देने को बाध्य नहीं कर सकता। इसके बावजूद हिसार के ट्रायल कोर्ट और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने अभियुक्त को आवाज का नमूना जांच के लिए देने का आदेश दिया है। गर्ग ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के समक्ष बताया गया था कि अभियुक्त की आवाज का नमूना लेने का मामला सुप्रीमकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष विचाराधीन है।
रीतेश सिन्हा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में दो न्यायाधीशों के बीच मतभिन्नता होने के बाद मामले को तीन न्यायाधीशों को विचार के लिए भेजा गया है लेकिन हाईकोर्ट ने इस बात पर ध्यान दिये बगैर याचिका खारिज कर दी और ट्रायल कोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी।
क्या है मामला
याचिकाकर्ता हरियाणा के पूर्व एएसआई धर्मवीर सिंह पर आरोप है कि उसने जमीन की खरीद में पैसे के लेनदेन के एक मामले में समझौता कराने के बदले शिकायतकर्ता से 15000 रुपये रिश्वत मांगी थी। शिकायतकर्ता ने इसकी शिकायत पुलिस के सर्तकता विभाग से की एफआईआर के आधार पर छापा डाला गया और अभियुक्त की मेज पर रखे बैग से रिश्वत के 15000 रुपये बरामद हुए।
इस मामले में शिकायतकर्ता ने पुलिस को मोबाइल पर की गई रिकार्डिग दी जिसमें अभियुक्त एएसआइ ने उससे रिश्वत मांगी थी। जांच अधिकारी ने रिकार्डिग की आवाज को अभियुक्त की आवाज से मिलाने के लिए अभियुक्त की आवाज का नमूना लेने की हिसार कोर्ट में अर्जी दी। कोर्ट ने अर्जी स्वीकार कर अनुमति दे दी थी। जिसके बाद मामला हाईकोर्ट होता हुआ सुप्रीमकोर्ट पहुंचा है।