कैग का बड़ा खुलासा, सिर्फ 20 दिनों तक युद्ध लड़ पाएगी हमारी सेना
भारतीय सेना के पास केवल 20 दिनों तक युद्ध लड़ने का ही गोला-बारूद मौजूद है। ये खुलासा कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जरनल ऑफ इंडिया (सीएजी) ने किया है। हालांकि कैग की इस रिपोर्ट से हुए खुलासे पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है और कहा है कि ऐसे रिपोर्ट से लोगों में
नई दिल्ली। भारतीय सेना के पास केवल 20 दिनों तक युद्ध लड़ने का ही गोला-बारूद मौजूद है। ये खुलासा कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जरनल ऑफ इंडिया (सीएजी) ने किया है। हालांकि कैग की इस रिपोर्ट से हुए खुलासे पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है और कहा है कि ऐसे रिपोर्ट से लोगों में डर पैदा हो सकता है।
सीएजी के मुताबिक, गोला-बारूद में यह कमी देश के करीब 12 लाख थल सैनिकों की आपाताकालीन तैयारी पर बुरा असर डालती है। थलसेना को युद्ध के हालात में 40 दिनों तक का वॉर रिजर्व होना चाहिए, लेकिन भारतीय सेना इस मामले में काफी पीछे है। देश की सेना के पास जरूरत से आधे समय तक के लिए ही युद्ध सामग्री मौजूद है। सीएजी ने साफ तौर पर कहा है कि इसका बुरा असर सेना की ऑपेरशनल तैयारियों और ट्रेनिंग पर पड़ता है।
सीएजी की इस रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा है कि इस तरह के रिपोर्ट से लोगों में डर का माहौल पैदा होगा। सरकार को इस पर उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
मार्च 2013 की अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा था कि 170 में से 125 अलग-अलग प्रकार के गोला-बारूद 20 दिनों के युद्ध के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं। इसके साथ ही इस प्रकार के गोला-बारूद में से 50 फीसदी तो केवल दस या उससे भी कम दिनों तक के युद्ध के लिए ही पर्याप्त थे।
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तब से लेकर अब तक हालात में कोई बदलाव नहीं आया है। हमारी जांच बताती है कि जरूरी 40 दिनों के वॉर रिजर्व तक 2019 में ही पहुंचा जा सकेगा, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए यह संभव होता नजर नहीं आ रहा।
इतना ही नहीं अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने रक्षा मंत्रालय और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के काम करने के तरीकों पर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना के पास पर्याप्त मात्रा में युद्ध सामग्री हो यह सुनिश्चित करना रक्षा मंत्रालय काम है और ओएफबी इसका स्रोत केंद्र है।
बोर्ड की जिम्मेदारी सेना को प्रचुर सप्लाई मुहैया कराना होती है। गौरतलब है कि चूंकि ओएफबी पर्याप्त गोला-बारूद की सप्लाई नहीं कर पा रहा था। इसी के चलते रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए गोला-बारूद आयात करने की भी योजना बनाई थी। लेकिन यह प्रक्रिया भी कारगर साबित नहीं हो पा रही है।
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