पाठक के जाने से बसपा के सोशल इंजिनियरिंग पर पड़ेगा असर
ब्रजेश पाठक इन्होंने पार्टी में दलित-ब्राह्मण गठजोड़ की शुरुआत की थी। उनके जाने से बसपा को एक और झटका लगा है।
नई दिल्ली। ब्रजेश पाठक के भाजपा ज्वाइन करने से बसपा के सोशल इंजिनियरिंग पर असर पड़ना तय है। बसपा में पाठक की बड़ी भूमिका थी। इन्होंने पार्टी में दलित-ब्राह्मण गठजोड़ की शुरुआत की थी। उनके जाने से बसपा को एक और झटका लगा है।
ब्रजेश पाठक मायावती की बड़ी रैलियों के मीडिया संयोजक हुअा करते थे। वह उन्नाव से 2004 का लोकसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद 2009 व 2014 में उनको शिकस्त झेलनी पड़ी। उनकी पत्नी नम्रता पाठक ने उत्तर प्रदेश में 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। माना जा रहा है कि पाठक के पार्टी से बाहर होने से बसपा सुप्रीमो मायावती के अभियान को झटका लगेगा।
मायावती को बड़ा झटका
मायावती की तमाम कोशिशों के बाद भी अपने किले में सेंध लगने से रोक नहीं पा रही हैं। उनके सबसे ज्यादा विश्वसनीय लोग एक-एक कर किनारा कर रहे हैं। लेकिन मायावती को सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा जब उनके हर कार्यक्रम में आगे रहने वाले ब्रजेश पाठक ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। पाठक मायावती के सबसे खास सहयोगी महामंत्री सतीश चंद्र मिश्र के नजदीकी माने जाते हैं।
इसके पहले पिछले पखवाड़े कई विधायकों समेत करीब एक दर्जन बड़े नेताओं ने बसपा से नाता तोड़ा था और भाजपा की सदस्यता ली थी। अब इन घटनाओं के बाद मायावती को एक बार फिर से अपनी सोशल इंजीनियरिंग के बारे में विचार करना होगा कि उनके साथ सवर्ण क्यों जुड़ने से कतरा रहा है।
मायावती इससे पहले बसपा के नेता विधानमंडल दल स्वामी प्रसाद मौर्य और फिर आरके चौधरी के छोड जाने से चिंतित थीं। दलित एजेंडे में उन्हें दयाशंकर सिंह की टिप्पणी ने जान डाल दी थी, लेकिन कुछ ही समय बाद बसपा नेताओं के एक नारे ने पूरी पटकथा का पांसा पलट डाला। मायावती फिर से सोशल इंजीनियरिंग में जुट गईं।
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छात्र राजनीति से किया सियासी सफर
हरदोई के रहने वाले ब्रजेश पाठक ने लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से सियासी जीवन की शुरुआत की और छात्रसंघ अध्यक्ष भी चुने गए। दबंग छवि वाले पाठक वर्ष 2002 में कांग्रेस के टिकट पर हरदोई की मलवां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं सके, बसपा के सतीश वर्मा में मात्र 130 वोटों से हार गए। बृजेश बसपा में शामिल हो गए और 2004 में उन्नाव लोकसभा सीट पर बसपा प्रत्याशी के रूप में सांसद निर्वाचित होने के बाद चर्चा में आएं।
बसपा के प्रमुख ब्राह्मण नेताओं में शुमार रहे पाठक दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहें। उन्होंने 2009 में भी लोकसभा चुनाव लड़ा परन्तु हार गए। बसपा शासन काल में मायावती ने ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक को राज्य मंत्री दर्जा प्रदान किया था। बसपा ने पाठक की पत्नी को 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ाया परन्तु जीत हासिल नहीं हो सकी।
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