मालदा हिंसा: चकाचक हो गया कालियाचक थाना
मालदा के कालियाचक थाना क्षेत्र में तीन जनवरी को हुई हिंसा से पूरा क्षेत्र दहशत में है। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे सांप्रदायि ...और पढ़ें

सिलीगुड़ी। मालदा के कालियाचक थाना क्षेत्र में तीन जनवरी को हुई हिंसा से पूरा क्षेत्र दहशत में है। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे सांप्रदायिक हिंसा मानने से इनकार कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने इस घटना को बीएसएफ और स्थानीय लोगों के बीच झड़प बताकर अपना पल्लू झाड़ लिया। मगर भाजपा की केंद्रीय टीम को मौके पर जाने से रोकने, हिंसा के सुबूत को मिटाने के लिए फूंके गए थाना कालियाचक की इमारत की मरम्मत व रंगरोगन कराने के पीछे उद्देश्य क्या है? 18 जनवरी को मालदा आ रहे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संभावित दौरे को लेकर तो कहीं थाना चकाचक नहीं करा दिया गया?
यदि यह बीएसएफ व स्थानीय लोगों की झड़प है तो हिंसा पर उतारू भीड़ ने थाने में तोड़फोड़ करने के साथ ही आग क्यों लगा दी? इतना ही नहीं, जिन लोगों की दुकानें लूटी व जलाई गईं वे सब हिंदुओं की ही क्यों हैं? सबसे बड़ी बात तो यह है कि घटना के तीन दिन बाद ही थाने की मरम्मत व रंगाई पुताई क्यों शुरू कर दी गई?
इससे तो साफ पता चलता है कि सरकार और प्रशासन को स्थानीय पीड़ित जनता की कोई परवाह नहीं है। तभी तो पीड़ित व्यवसायियों को अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है, न ही इसकी कोई घोषणा की गई है।
पश्चिम बंगाल के मालदा में हुई हिंसा और घटना के विषय में आये बेतुके बयानों का भाजपा आने वाले समय में पूरी ताकत से विरोध करने का मन बना रही है।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने आने वाली चार बड़ी चुनावी रैलियों में इसे जनता के सामने पुरजोर तरीके से उठाने के बारे में सोचा है।
आने वाले कुछ हफ्तों में राज्य के विभिन्न स्थानों पर पार्टी नेता कुछ रैलियों को संबोधित करने वाले हैं। जहां एक ओर सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी 18 जनवरी को मालदा में एक रैली को संबोधित करेंगे, तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 25 जनवरी को हावड़ा में एक और रैली को संबोधित करेंगे।
भाजपा द्वारा इस मुद्दे को 21 और 22 जनवरी को बर्दवान और बारासात में दो अन्य रैलियों में भी उठाया जाने की संभावना है, जिनमें से एक रैली गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा संबोधित की जाएगी।

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