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    नए कैग की नियुक्ति पर भाजपा ने उठाए सवाल

    By Edited By:
    Updated: Wed, 22 May 2013 08:39 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मानवाधिकार आयोग में कुछ सदस्यों की नियुक्तियों पर असहमति दर्ज करा चुकी भाजपा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] के पद पर शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को लेकर आशंकित है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने हालांकि, शर्मा पर कोई व्यक्तिगत सवाल तो नहीं उठाए हैं, लेकिन इशारों-इशारों में इतना जरूर कहा कि उस व्यक्ति को बहीखाते की जांच पड़ताल नहीं करनी चाहिए जिसने कभी फैसला लिया हो।

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    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मानवाधिकार आयोग में कुछ सदस्यों की नियुक्तियों पर असहमति दर्ज करा चुकी भाजपा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] के पद पर शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को लेकर आशंकित है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने हालांकि, शर्मा पर कोई व्यक्तिगत सवाल तो नहीं उठाए हैं, लेकिन इशारों-इशारों में इतना जरूर कहा कि उस व्यक्ति को बहीखाते की जांच पड़ताल नहीं करनी चाहिए जिसने कभी फैसला लिया हो।

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    गौरतलब है कि शर्मा लंबे समय तक रक्षा मंत्रालय में अधिकारी रह चुके हैं। इस दौरान कई विवादित करार और खरीद सौदे भी हुए हैं। बिहार कैडर के 1976 बैच के आइएएस शर्मा को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे।

    एक दिन पहले ही आम आदमी पार्टी [आप] के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण ने शर्मा की नियुक्ति का विरोध करते हुए कहा था कि सरकार एक अक्षम व्यक्ति को कैग के पद पर बैठाकर इस संवैधानिक पद को कमजोर करना चाहती है। इसके बाद बुधवार को जेटली ने शर्मा के पूर्व के प्रभार का हवाला देते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय का बजट सबसे बड़ा होता है। ऐसे में अगर उस मंत्रालय में रहे अधिकारी ही बाद में जांच करेंगे तो हितों का टकराव हो सकता है। यह उचित नहीं है।

    वैसे खुद जेटली ने शर्मा पर तो व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की, लेकिन पार्टी की ओर से जारी बयान में विभिन्न संवैधानिक पदों पर हुई नियुक्तियों पर जरूर सवाल उठाया गया। पार्टी ने कहा कि चुनाव आयोग से लेकर केंद्रीय सतर्कता आयोग और मानवाधिकार आयोग तक में ऐसी नियुक्तियां हुई हैं जिन पर कभी-कभार सुप्रीम कोर्ट को भी एतराज जताना पड़ा। हाल के दिनों में भाजपा नेताओं ने मानवाधिकार आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति पर लिखित आपत्ति जताई थी, लेकिन सरकार नहीं मानी। उससे पहले पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस के मामले में भी सरकार ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के एतराज को नजरअंदाज कर दिया था। बाद में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद थामस को हटना पड़ा था।

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    सूत्रों का कहना है कि भाजपा यूपीए सरकार की प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक में कमियों को तुलना वाजपेयी सरकार की अंत्योदय योजना की सफलता के साथ करेगी। इसके अलावा विदेश नीति और आंतरिक और बाहरी सुरक्षा का भी जिक्र किया जाएगा।

    गौरतलब है कि मंगलवार को भाजपा की संसदीय दल की बैठक के बाद पार्टी ने कहा है कि एनडीए लोकसभा चुनाव के लिए बिल्कुल तैयार है। भाजपा ने यूपीए सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया है। बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमें आपस में चर्चा कर जनता के बीच जाना चाहिए। 27 मई से 2 जून तक जेल भरो आंदोलन चलेगा, जिसकी घोषणा भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पहले ही कर दी थी।

    बैठक में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। बैठक में भाग लेने के लिए गुजरात के मुख्य मंत्री सुबह ही दिल्ली पहुंच गए। मोदी के लिए संसदीय दल की बैठक में शामिल होने का यह पहला मौका है। मोदी, भाजपा के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें संसदीय दल में चुना गया है।

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