भाजपा ने दलित-पिछड़ों को दी पांच राज्यों की कमान
भारतीय जनता पार्टी ने पांच राज्यों में पार्टी अध्यक्षों के नाम घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने ये कदम राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उठाया है। सबसे पहले बात करते हैं कर्नाटक की जहां पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस येदुरप्पा को कर्नाटक का पार्टी अध्यक्ष बनाया
आशुतोष झा, नई दिल्ली। भाजपा अब प्रयोगों को छोड़ सधे कदमों से जातिगत समीकरण और विचारधारा से जुड़े क्षेत्रीय चेहरों के साथ आगे बढ़ेगी। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश, पंजाब और कर्नाटक सहित पांच राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति में इसका स्पष्ट संकेत दे दिया गया है। चुनावी दृष्टि से जहां सभी अध्यक्षों की जातियां अहम हैं वहीं संघ से उनका रिश्ता भी मजबूत रहा है। कुछ नेता तो कट्टर ङ्क्षहदुत्व के प्रतीक भी रहे हैैं। नवनियुक्त पांच अध्यक्षों में एक दलित, दो ओबीसी, एक पिछड़ा(लिंगायत) और एक अनुसूचित जनजाति से हैैं।
लंबी प्रतीक्षा के बाद शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के तौर पर केशव प्रसाद मौर्य, पंजाब में विजय सांपला, कर्नाटक में बीएस येद्ययुरप्पा, तेलंगाना में के. लक्ष्मण और अरुणाचल प्रदेश में तापिर गाव को कमान सौंप दी।
उत्तर प्रदेश: खोए हुए वोट बैंक को पानी की कोशिश
ओबीसी कोटे की कोइरी जाति से संबद्ध मौर्य का चुनाव कर भाजपा ने अपने खोए हुए वोट बैैंक को पाने की कोशिश की है। बताते हैैं कि कल्याण सिंह के काल तक यह वर्ग भाजपा के साथ था लेकिन बाद में बसपा के साथ खड़ा हो गया। बसपा से यह वोट तोड़कर भाजपा पिछड़ों और दलितों में बड़ी सेंध लगाने की तैयारी में है। ओबीसी जाति में कुर्मी वर्ग से केंद्र में मंत्री भी हैैं। चूंकि युवा मौर्य का संघ परिवार के साथ लंबा और प्रगाढ़ रिश्ता रहा है लिहाजा संघ यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी आनुषांगिक संगठन साथ खड़े रहें। फूलपुर से आने वाले मौर्य के जरिए पार्टी ने क्षेत्रीय संतुलन भी साधा है। उनसे पहले लक्ष्मीकांत वाजपेयी पश्चिम उत्तर प्रदेश से संबद्ध थे। मौर्य पूर्व से हैैं। धर्मपाल का पत्ता शायद इसलिए कट गया क्योंकि वे कल्याण सिंह व उमा भारती जैसे दिग्गजों की लोध बिरादरी से ही ताल्लुक रखते हैैं।
पंजाब: दलितों को साधने का लक्ष्य:
सांपला को पंजाब की कमान देकर भाजपा ने रणनीतिक कौशल का परिचय दिया है। दस साल से अकाली दल के साथ सत्ता में रही भाजपा जानती है कि फिलहाल अकेला दलित वर्ग ही है जिसे साधा जा सकता है। केंद्रीय मंत्री सांपला को वहां भेजकर भाजपा ने यही सुनिश्चित करने की कोशिश की है। यह दांव विधानसभा चुनाव के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव के नजरिए से भी अहम है।
कर्नाटक: येद्ययुरप्पा से ही आस:
कर्नाटक में सत्ता खो चुकी भाजपा की मदद केवल मजबूत पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्ययुरप्पा ही कर सकते हैैं। भाजपा को इसका अहसास था और उन्हें पहले ही संकेत दे दिया गया था। हालांकि सूत्रों के अनुसार अंतिम बैठकों में किसी दूसरे नाम पर भी चर्चा हो रही थी तब एक वरिष्ठ मंत्री संभवत: राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि अध्यक्ष किसी और को बनाया जाता है तो साथ ही भावी मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में अभी से येद्ययुरप्पा को प्रोजेक्ट किया जाए। कर्नाटक के प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के दमदार नेता येद्ययुरप्पा को वापस कमान देकर भाजपा ने अभी से कांग्र्रेस के लिए लड़ाई मुश्किल बना दी है।
तेलंगाना को लेकर लंबी रणनीति:
लक्ष्मण के रूप में आरएसएस पृष्ठभूमि के व्यक्ति को कमान सौंपी गई है। ओबीसी से आने वाले लक्ष्मण की जाति का प्रभाव क्षेत्र बड़ा है। वह कïट्टर भी माने जाते हैैं। गौरतलब है कि टेनिस स्टार सानिया मिर्जा को पाकिस्तान की बहू कहकर उन्होंने विवाद खड़ा कर दिया था। यह उस वक्त हुआ था जब तेलंगाना सरकार ने उन्हें ब्रांड अंबेसडर बनाने का निर्णय लिया था।
अरुणाचल: तेज तर्रार तापिर
केंद्रीय संगठन में महासचिव की भूमिका निभा चुके तापिर गाव पार्टी के सबसे तेज तर्रार नेता हैैं। वह केंद्रीय नेतृत्व की सोच और कार्यशैली से भी परिचित हैैं। अरुणाचल से किरण रिजिजू पहले केंद्र में मंत्री हैैं। ऐसे में तापिर गाव को प्रदेश की कमान देकर जहां सामंजस्य बिठाया गया है वहीं भावी चुनाव की बिसात भी बिछा दी गई है।
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश और पंजाब में साल 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं तो कर्नाटक में साल 2018 में इसकी देखते हुए भाजपा ने प्रदेश अध्यक्षों को बदला है।
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