सरकार बोली, निर्दोष बच्चों को जहर देना एक साजिश
राज्य सरकार ने सारण जिले के मशरक प्रखंड स्थित धर्मासती गंडामन (गांव) में मिड डे मील में जहर देने की घटना को एक साजिश करार दिया है। शिक्षा मंत्री पीके ...और पढ़ें

पटना, जागरण ब्यूरो। राज्य सरकार ने सारण जिले के मशरक प्रखंड स्थित धर्मासती गंडामन (गांव) में मिड डे मील में जहर देने की घटना को एक साजिश करार दिया है। शिक्षा मंत्री पीके शाही ने सोमवार को बिहार विधानसभा में कहा कि एक साजिश के तहत निर्दोष बच्चों को जहर दिया गया था। इसकी उच्चस्तरीय जांच चल रही है। दोषियों को कड़ी-कड़ी सजा दिलायी जाएगी। वे सदन में सरकार का पक्ष रख रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानाध्यापक मीना देवी के पति अर्जुन राय और उसका चचेरा भाई ध्रुव राय ने 14 जुलाई को एक चीनी मिल से 250 मिलीलीटर जहर खरीदा था। वहां पर उसके हस्ताक्षर भी मौजूद हैं। 16 जुलाई को भोजन में जहर का उपयोग किया गया। इसमें 23 बच्चों की जान गई।
शिक्षा मंत्री के मुताबिक घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधा देने एवं जांच का आदेश दिया। वे पल-पल की सूचना ले रहे थे और आवश्यक निर्देश भी दे रहे थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर वे खुद छपरा के लिए रवाना हुए। रास्ते में मुख्यमंत्री उनसे व जिलाधिकारी (छपरा) से संपर्क में थे। उनके मुताबिक 47 बच्चे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) में लाए गए थे। वहां पहले से डा.एआर अंसारी एवं डा.आरपी सिंह मौजूद थे, जहां बच्चों का तत्काल इलाज प्रारंभ हुआ। यहां एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई थी।
इसके बाद पीएचसी से बच्चों को लाकर छपरा सदर अस्पताल में भर्त्ती कराया गया। इलाज के क्रम में बच्चों को पीएमसीएच में रेफर किया गया। ऐसे में वहां जाने का मेरा कोई औचित्य नहीं था। रास्ते से बच्चों को साथ लेकर पीएमसीएच आ गया, जहां रातभर बच्चों को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा उपलब्ध कराने में तमाम चिकित्सकों एवं प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा के साथ जुटा रहा। दुर्भाग्य से जहर की मात्रा इतनी अधिक थी कि हादसे में 23 बच्चों को बचाया नहीं जा सका।
सरकार ले नैतिक जिम्मेदारी :-
विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि बच्चों की मौत की नैतिक जिम्मेवारी सरकार को लेनी चाहिए। कांग्रेस से दोस्ती करके सरकार उसकी रीति-नीति को अपना रही है और बगहा, बोधगया व मशरक की घटना पर राजनीति कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक विफलता के कारण बच्चों की मौत हुई। घटना के तत्काल बाद सरकार सचेत होती तो बच्चों की जान बचायी जा सकती थी। दरअसल सरकार ने बच्चों की मौत को हल्के में लिया। शिक्षा मंत्री न घटनास्थल में गए और न छपरा। मगर मीडिया में छपरा जाने की खबर प्रसारित करवा दीं। मुख्यमंत्री जी को अंगुली में चोट लगी है। इसका मजाक नहीं उड़ाना चाहते हैं लेकिन सवाल यह है कि 21 दिन के अंदर विधानसभा सत्र शुरू हो गया। विधानसभा की सीढिय़ां चढ़कर सदन में आ सकते हैं। मगर पीएमसीएच में बच्चों को देखने नहीं जा सकते।
सीबीआइ से हो जांच :-
राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी ने कार्यस्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए घटना की सीबीआइ से जांच कराने एवं पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख मुआवजा देने की मांग की। उनके मुताबिक राच्य का विकास का श्रेय सरकार खुद लेती है तो बच्चों के नरसंहार की जिम्मेवारी भी सरकार को लेनी चाहिए। हम बच्चों की मौत पर राजनीति नहीं करना चाहते हैं पर लाश की राजनीति करने वाले लोगों की ओछी राजनीति शर्मनाक है। बिना जांच पूरा हुए शिक्षा मंत्री ने घटना पर राजनीति शुरू की। इसे सभ्य समाज माफ नहीं कर सकता है। ऐसे शिक्षा मंत्री को अविलंब हटाना चाहिए।
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