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    बिहार की राजनीति पर चारा घोटाले का असर, बदलेंगे राजनीतिक समीकरण!

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 08 May 2017 03:08 PM (IST)

    चारा घोटाले की बदौलत जहां लालू प्रसाद यादव पर संकट में हैं वहीं सरकार पर भी इस गठबंधन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में क्‍या होगा बिहार का राजनीतिक समीकरण, जानें

    बिहार की राजनीति पर चारा घोटाले का असर, बदलेंगे राजनीतिक समीकरण!

    नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। बिहार की राजनीति का पारा एक बार फिर से चारा घोटाले पर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बदौलत बढ़ गया है। लालू प्रसाद यादव एक बार फिर इसके घेरे में हैं। मौजूदा समय में लालू यादव बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं और सरकार में उनकी अहम भूमिका भी है। एक समय में लालू के धुर विरोधी माने जाने वाले नीतीश कुमार फिलहाल लालू प्रसाद यादव की बदौलत ही सत्‍ता पर काबिज हैं। लेकिन यदि इस मामले को लेकर राजद और जदयू में संकट गहराता है तो बिहार की राजनीतिक स्थिति काफी दिलचस्‍प हो जाएगी। इसकी वजह एक यह भी है कि हाल ही में सुशील मोदी ने नीतीश को जदयू से हटने की सूरत में समर्थन देने की बात कही है।

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    विधानसभा में पार्टियों की स्थिति

    फिलहाल 243 सदस्‍यों वाली बिहार विधानसभा में राष्‍ट्रीय जनता दल की 80 और जनता दल (यूनाइटेड) की 71 सीटें हैं। यहां पर भाजपा तीसरे नंबर की पार्टी है और उसकी फिलहाल 53 सीटें हैं। इसके अलावा इंडियन नेशनल कांग्रेस 27 सीट, राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी 2 सीट, लोक जन शक्ति पार्टी 2 सीट, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट)(लिबरेशन) 3 सीट, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) 1 सीट और निर्दलीय 4 सीटों पर काबिज हैं।

    बहुमत का आंकड़ा

    बिहार में उठते राजनीतिक संकट को देखते हुए यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो राजद-जदयू गठबंधन टूटने की सूरत में यहां पर भाजपा चाहे तो सरकार को बनाए रखने में जदयू की मदद कर सकती है। यह इतना मुश्किल इसलिए भी नहीं दिखाई देता है क्‍योंकि जदयू-भाजपा गठबंधन राज्‍य में पहले भी सरकार चला चुके हैं। लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को पीएम उम्‍मीद्वार घोषित करने के बाद इस गठबंधन में दरार आ गई थी और दोनों के रास्‍ते अलग हो गए थे।

    मोदी की तारीफ कर चुके हैं नीतीश

    इस गठबंधन की संभावना इसलिए भी बढ़ती दिखाई दे रही है क्‍योंकि बीते कुछ माह में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के फैसलों का खुला समर्थन किया है। फिर चाहे वह नोटबंदी का मुद्दा ही क्‍यों न रहा हो, जिसपर समूचा विपक्ष पीएम मोदी को उनके फैसले के लिए घेरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नीतीश ने उनका समर्थन कर समूचे विपक्ष को हैरानी और परेशानी में डाल दिया था।

    फिलहाल सरकार के पास 150 सीटें

    फिलहाल विधानसभा की स्थिति के मुताबिक सरकार के पास 150 से अधिक सीटें हैं जिसका अर्थ सीधेतौर पर बहुमत से काफी आगे है। गठबंधन टूटने की सूरत में यदि भाजपा नीतीश को समर्थन देती है तो विधानसभा में 124 सीटें सरकार के पास होंगी। यह आंकड़ा बहुमत से दो आगे का है, लेकिन ऐसी सूरत में नीतीश सरकार पहले की ही तरह चलती रहेगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो सिर्फ दो विकल्‍प बचते हैं पहला विकल्‍प मध्‍याविधि चुनाव और दूसरा राष्‍ट्रपति शासन का है। फिलहाल की सूरत में इन दोनों की संभावनाएं कम ही दिखाई देती हैं।

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    शाहबुद्दीन का भी मामला

    बिहार में राजनीतिक संकट उभरने की आशंका इस लिहाज से भी ज्‍यादा दिखाई दे रही है क्‍योंकि हाल ही में लालू प्रसाद यादव और बिहार के बाहुबली नेता शाहबुद्दीन का जो कथित ऑडियो टेप सामने आया है उसको लेकर विपक्ष राज्‍य सरकार पर जोरदार हमले बोल रहा है। यहां पर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बिहार में नीतीश की साफ सुथरी छवि पर इन हमलों से दाग भी लग रहा है। बाहुबली नेता शाहबुद्दीन के साथ लालू प्रसाद यादव के संबंध और नीतीश कुमार की शाहबुद्दीन से नाराजगी भी किसी से छिपी नहीं है। इस लिहाज से जहां लालू यादव दो मामलों में घिरते दिखाई दे रहे हैं वहीं नीतीश कुमार के पास फिलहाल इनका कोई जवाब नहीं है।

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