बिहार सरकार बनाएगी भिखारियों की पहचान
आते-जाते सड़कों पर हाथ फैलाए दिखते भिखारियों को न तो कोई पहचानता है, न पहचानना चाहता है। लेकिन बिहार सरकार इन भिखारियों की पहचान के लिए सर्वे कराने जा रही है। इसके बाद सभी भिखारियों को यूनिक कोड के साथ आइकार्ड जारी किया जाएगा। इसमें उनकी जाति, नाम व रहने की जगह की
पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। आते-जाते सड़कों पर हाथ फैलाए दिखते भिखारियों को न तो कोई पहचानता है, न पहचानना चाहता है। लेकिन बिहार सरकार इन भिखारियों की पहचान के लिए सर्वे कराने जा रही है। इसके बाद सभी भिखारियों को यूनिक कोड के साथ आइकार्ड जारी किया जाएगा। इसमें उनकी जाति, नाम व रहने की जगह की सूचना होगी। सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के मकसद से यह कवायद की जा रही है।
समाज कल्याण विभाग के अधीन काम करने वाली 'स्टेट सोसायटी फॉर अल्ट्रा पुअर एंड सोशल वेलफेयर' को भिखारियों का सर्वे कराने का टेंडर दिया गया है। पटना, नालंदा, गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, रोहतास, भागलपुर व पूर्णिया जिले में सर्वे कार्य होगा। उम्मीद है कि अगले कुछ माह में भिखारियों की स्कैन फोटो के साथ उन्हें आइकार्ड जारी कर दिया जाएगा। समाज कल्याण विभाग का कहना है कि इस आइकार्ड का मकसद भिखारियों का समेकित पुनर्वास है। उनके लिए पटना में कुछ योजनाएं चल रही हैं। गया और नालंदा जिले में इसका विस्तार किया गया है। अगले चरण में कुछ और जिलों को इस योजना से जोड़ा जाएगा। सर्वे में भिखारियों की मैट्रिक स्तर तक शैक्षिक जानकारी ली जाएगी। यदि कोई आगे पढ़ना चाहता है तो उसे मौका दिया जाएगा। कौन-सा भिखारी किस वर्ग का है और किस इलाके में भीख मांगता है। साथ ही उसके रात बिताने के ठिकानों की भी जानकारी इसमें शामिल की जाएगी।
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