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    पूरा बम नहीं फटा, नहीं तो यात्रियों के उड़ जाते चीथड़े

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Wed, 08 Mar 2017 06:53 AM (IST)

    एमपी में संदिग्धों का किसी वारदात को अंजाम देने के लिए भोपाल आने की जानकारी इंटेलीजेंस ब्यूरो की ओर से भी एमपी पुलिस को दी गई थी।

    पूरा बम नहीं फटा, नहीं तो यात्रियों के उड़ जाते चीथड़े

    भोपाल, नई दुनिया। भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में रखा बम तकनीकी खामी के चलते ठीक से नहीं फटा। यदि बम सही तरीके से फट जाता तो ट्रेन में बैठे यात्रियों के चीथड़े उड़ जाते। वहीं घटना को अंजाम देने के लिए आतंकी मंगलवार सुबह ही दिल्ली से भोपाल आए थे।

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    एमपी में संदिग्धों का किसी वारदात को अंजाम देने के लिए भोपाल आने की जानकारी इंटेलीजेंस ब्यूरो की ओर से भी एमपी पुलिस को दी गई थी। आतंकी संगठन आइएस के इंटर स्टेट मॉड्यूल द्वारा इस घटना को अंजाम देन की बात कही जा रही है।

    आतंकियों द्वारा ट्रेन में विस्फोट करने की घटना के पीछे अक्टूबर में हुए सिमी आतंकियों के एनकाउंटर और फरवरी में सिमी सरगना सफदर नागौरी सहित सात लोगों को दी गई उम्रकैद के बदले से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। आतंकियों के तहरीक-ए-इंसाफ संगठन से जुड़े होने की बात सामने आई है। यह संगठन आइएस से जुड़ा बताया जाता है। इस संगठन को पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा और अन्य संगठनों से फंडिंग होती है।

    सूत्रों की मानें तो पकड़े गए युवाओं ने बताया था कि उन पर एमपी में किसी भी तरह से घटना को अंजाम देने का दबाव था। इधर, रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) मो. जमशेद ने मुख्य सचिव बीपी सिंह से घटना के संबंध में जानकारी ली है।

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    बम रखकर जबड़ी स्टेशन पर उतर गए थे

    जानकारी के अनुसार, आतंकी सुबह भोपाल स्टेशन से ट्रेन में सवार हुए। ट्रेन 8.30 बजे रवाना हुई। इस दौरान उन्होंने ट्रेन के सामान रैक में सूटकेस रखा, जिसमें बम था। 9.37 बजे ट्रेन जबड़ी रेलवे स्टेशन पर रुकी। जहां तीनों उतर गए। ट्रेन चलने के पांच मिनट बाद ही 9.42 बजे स्टेशन से 300 मीटर की दूरी पर ब्लास्ट हुआ।

    मोबाइल फोन था बम का ट्रिगर

    बम का ट्रिगर मोबाइल फोन था, जिसे आतंकियों ने ट्रेन से उतरने के बाद डायल किया और कुछ क्षण बाद ही धमाका हो गया। धमाके की आवाज सुनने की बाद तीनों आतंकी पैदल ही सीहोर रोड तक गए। यहां से वे बस से राजधानी के नादरा बस स्टैंड पहुंचे और पिपरिया जाने वाली बस पर सवार हो गए। जबड़ी में आतंकियों के हुलिये पर हुई पूछताछ के आधार पर इनके भोपाल आने का पता चलते ही एटीएस ने फॉलो करना शुरू कर दिया। पहले सीहोर और बाद में भोपाल तक के रू ट को फॉलो किया गया। भोपाल से उनके पिपरिया जाने की पुख्ता जानकारी के बाद होशंगाबाद पुलिस को अलर्ट कर नाकेबंदी करने को कहा गया।

    पुरानी दिल्ली से दूसरा कनेक्शन

    मप्र में ट्रेन में विस्फोट करने की साजिश पुरानी दिल्ली के पहाड़गंज इलाके से रची गई। मालूम हो कि इससे पूर्व प्रदेश में आइएसआइ नेटवर्क को चलाने वाला मास्टमाइंड जब्बार को भी पुरानी दिल्ली से ही पकड़ा गया था।

    काफी ज्यादा थे यात्री

    आम दिनों की तुलना में इस पैसेंजर ट्रेन में मंगलवार को ज्यादा यात्री थे। दरअसल, मंगलवार को जिले के बोलाई स्थित श्री सिद्घवीर हनुमान मंदिर में जाने के लिए ज्यादातर यात्री इसी ट्रेन का सहारा लेते हैं। आशंका जताई जा रही है कि ट्रेन में भीड़ अधिक होने से यात्रियों को टारगेट किया गया था।

    भोपाल में किसने की मदद, सवाल बरकरार

    सूत्रों की मानें तो दिल्ली से भोपाल पहुंचे तीनों आतंकियों को बम भोपाल में ही दिए गए। उनकी मदद किसने की, इसकी भी जांच हो रही है। आरोपियों के पिपरिया की ओर जाने की वजह भी नरसिंहपुर और आसपास के इलाकों में सिमी के समर्थक व मददगारों के होने से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

    लखनऊ-कानपुर था केंद्र

    सूत्रों की मानें तो दिल्ली से रची गई साजिश को अंजाम देने के लिए लखनऊ-कानपुर को केंद्र बनाया गया था। यहीं से युवाओं को विस्फोट के लिए तैयार किया गया और फंडिंग भी हुई। यही वजह है कि जैसे ही एमपी एटीएस ने ट्रेन में धमाकों को अंजाम देने वाले तीनों आतंकियों को पकड़ा तो उन्होंने कानपुर और लखनऊ में बैठे अपने आकाओं के नाम बताए, जिसके बाद एमपी एटीएस ने उप्र एटीएस को इसकी सूचना दी और वहां इस मामले से जुड़े अन्य आतंकियों को पकड़ने की कार्रवाई शुरू हुई।

    पांच अब भी फरार

    इस पूरे मॉड्यूल में दस आतंकियों के शामिल होने की बात सामने आई है। इनमें से तीन को पिपरिया से गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि कानपुर से 18 साल के फैसल को गिरफ्तार किया गया। लखनऊ में सैफुलला को इनकाउंटर में मार गिराया गया। वहीं पांच अन्य युवक अब भी फरार बताए जा रहे हैं।

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