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    चुनाव नतीजों से पहले ही कांग्रेस और सरकार में सिर फुटौव्वल

    By Edited By:
    Updated: Wed, 14 May 2014 11:44 PM (IST)

    लोकसभा चुनाव-2014 के नतीजे आने के पहले ही कांग्रेस और सरकार के बीच सिर फुटौव्वल शुरू हो गई है। परिणाम से पहले ही हार का ठीकरा संप्रग के सिर फोड़ने को तैयार कांग्रेस अचानक सरकार के काम को लेकर मुखर हो गई है। इस क्रम में अपरोक्ष रूप से सरकार के 'हैवीवेट मंत्रियों' की निष्ठा और क्षमता को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। पार्टी के पहले हमले की जद में कानून और गृह मंत्रालय आया है। गुजरात जासूसी कांड में जज की नियुक्ति न कर पाने क

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लोकसभा चुनाव-2014 के नतीजे आने के पहले ही कांग्रेस और सरकार के बीच सिर फुटौव्वल शुरू हो गई है। परिणाम से पहले ही हार का ठीकरा संप्रग के सिर फोड़ने को तैयार कांग्रेस अचानक सरकार के काम को लेकर मुखर हो गई है। इस क्रम में अपरोक्ष रूप से सरकार के 'हैवीवेट मंत्रियों' की निष्ठा और क्षमता को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। पार्टी के पहले हमले की जद में कानून और गृह मंत्रालय आया है। गुजरात जासूसी कांड में जज की नियुक्ति न कर पाने को पार्टी सूत्रों ने 'शर्मनाक' बताते हुए इनकी क्षमता और मंशा पर सवाल उठाया है। इतना ही नहीं, इन नाकामियों पर कांग्रेस आलाकमान को एक रिपोर्ट भी सौंपी गई है।

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    दस साल से सत्ता सुख भोग रही कांग्रेस एक ओर प्रधानमंत्री को उनके नेतृत्व के लिए सम्मानित कर रही है। दूसरी ओर पार्टी चुनाव के संभावित परिणामों का ठीकरा भी सरकार के सिर पर फोड़ने की तैयारी तेज हो गई है। चुनावों में अब तक के सबसे खराब परिणाम की आशंका के बीच कांग्रेस ने सरकार में मंत्री रहे अपनों को निशाना बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। गुजरात जासूसी कांड पर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सहमति के बाद भी जज की नियुक्ति न हो पाने को लेकर पार्टी खासी असहज है। 'गेमचेंजर' माने जा रहे इस मुद्दे को लेकर सरकार की निष्क्रियता से नाराज पार्टी ने परिणामों से कुछ घंटे पहले इस मसले पर अपने ही मंत्रियों की नीयत पर सवाल उठाकर सख्त संदेश देने की कोशिश की है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने संप्रग में पार्टी कोटे से मंत्री रहे तमाम नेताओं के समय-समय पर दिए बयानों और क्रियाकलापों से पार्टी को होने वाले नुकसान पर एक रिपोर्ट भी आलाकमान को सौपी है। रिपोर्ट में अन्ना आंदोलन से शुरू हुए श्रेय लेने के अभियान और उससे संगठन की छवि को हुए नुकसान की चर्चा की गई है। यही नही समय-समय पर गुजरात सरकार की तारीफ कर पार्टी के आक्रमण को भोथरा करने वाले मंत्रियों को कटघरे में खड़ा किया गया है। रिपोर्ट में जिन नेताओं के नाम हैं, उनमें ज्यादातर न सिर्फ चुनावी मैदान में हैं, बल्कि बुरी तरह फंसे हुए भी हैं।

    एक्जिट पोल का रोल

    कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष सरकार के सपनों को एक्जिट पोल का ग्रहण लग गया है। दरअसल पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक जहां कांग्रेस का आंकड़ा 125-150 के बीच है। वहीं भाजपा दो सौ से दर्जन भर सीट पीछे रहने वाली है। ऐसे में पार्टी को उम्मीद थी कि मोदी को रोकने और धर्मनिपेक्षता के नाम पर राजनीतिक दल उसके साथ लामबंद होने लगेंगे, लेकिन एक्जिट पोल में कांग्रेस का खराब प्रर्दशन और भाजपानीत राजग को स्पष्ट बहुमत मिलता देख क्षेत्रीय दलों की खामोशी ने कांग्रेस को यह दांव खेलने का मौका नही दिया। ऐसे में कांग्रेस के सामने इंतजार करने के सिवा कोई चारा नही है, जबकि सहयोगियों की तलाश में लगी भाजपा को सकारात्मक संकेत मिलने भी लगे हैं।

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