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    क्या है बटला हाउस एनकाउंटर केस?

    By Edited By:
    Updated: Thu, 25 Jul 2013 10:19 AM (IST)

    13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सीरियल बम धमाके हुए थे। इन बम धमाकों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे। दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी गुट इंडियन मुजाहिदीन ने अंजाम दिया है।

    नई दिल्ली। 13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सीरियल बम धमाके हुए थे। इन बम धमाकों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे। दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी गुट इंडियन मुजाहिदीन ने अंजाम दिया है। घटना के 6 दिन बाद 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिदीन के पांच आतंकी बटला हाउस स्थित एक मकान में मौजूद हैं।

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    पढ़ें: बटला हाउस एनकाउंटर मामले का फैसला

    सूचना के आधार पर इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की अगुवाई में सात सदस्यीय टीम जब छापा मारने पहुंची तो मकान संख्या एल-18 के प्रथम तल पर बने फ्लैट में मौजूद पांच आतंकियों ने पुलिसकर्मियों पर गोली चलानी शुरू कर दी। एनकाउंटर में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा सहित दो पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। जवाबी फायरिंग में पुलिस ने दो आतंकी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद को मार गिराया था। जबकि दो आतंकी मोहम्मद सैफ और जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन एक आतंकी भागने में सफल रहा था। एनकाउंटर में घायल इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की इलाज के दौरान मौत गई थी। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दे दी थी।

    पुलिस के अनुसार एनकाउंटर के बाद शहजाद उस फ्लैट से बचकर भाग गया था। पुलिस को शहजाद का पता एक आतंकी मोहम्मद सैफ के बयान से चला। पुलिस ने शहजाद को गिरफ्तार किया तो उसने मामले में एक अन्य आरोपी जुनैद का भी नाम लिया। मगर, उसे पकड़ा नहीं जा सका। उसे भगौड़ा अपराधी घोषित किया गया है।

    कौन-कौन से विवाद

    * कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताकर विवाद को जन्म दिया, हालांकि उनकी ही पार्टी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया।

    * समाजवादी पार्टी ने भी एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका पर शक जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की। मगर तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने एनकाउंटर को वास्तविक बताते हुए मामले को फिर खोलने से इनकार कर दिया।

    * एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कई सामाजिक और गैरसरकारी संगठन सड़कों पर उतर आए।

    * पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगा। एक एनजीओ की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश दिया कि वह एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका की जांच करे और 2 महीने के भीतर रिपोर्ट दे। अपनी रिपोर्ट में एनएचआरसी ने पुलिस को क्लीन चिट दी जिसे स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने मामले में न्यायिक जांच की मांग ठुकरा दी।

    कैसे चला ट्रायल

    28 अप्रैल 2010: पुलिस ने इस मामले में चार कथित आतंकियों शहजाद अहमद उर्फ पप्पू, जुनैद (भगौड़ा), आतिफ अमीन और मुहम्मद साजिद के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, जिसमें इन पर इंस्पेक्टर शर्मा की हत्या का आरोप लगाया गया।

    इस मामले में आरोपी मुहम्मद सैफ ने आत्मसमर्पण किया था और बाकी दो आरोपी एनकाउंटर में मारे गए थे। लिहाजा, अकेले आरोपी के तौर शहजाद ने ही इस केस का ट्रायल फेस किया।

    15 फरवरी 2011: अदालत ने शहजाद उर्फ पप्पू के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए।

    अंतिम जिरह के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि उसके पास पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य और फोन कॉल्स रिकॉर्ड हैं जिससे यह साबित होता है कि शहजाद उसी फ्लैट में रहता था जिसमें पुलिस रेड के लिए गई थी और वह पुलिस दल पर फायरिंग करने वाले आतंकियों में भी शामिल था जिसमें इंस्पेक्टर शर्मा को गोली लगी। पुलिस की ओर से यह भी कहा गया कि वह पुलिस पर फायरिंग करने के बाद बालकनी से अपने साथी जुनैद के साथ भाग गया था।

    वहीं बचाव पक्ष ने बैलिस्टिक रिपोर्ट के आधार पर अदालत के समक्ष दावा किया कि पुलिस अधिकारी के शरीर से मिली गोली घटनास्थल से मिली बंदूक की थी, न कि उस हथियार की जो गिरफ्तारी के वक्त शहजाद के पास से मिला था। शहजाद की ओर से उस फ्लैट में मौजूद होने के आरोप का भी खंडन किया गया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 21 जुलाई को एएसजे राजेंद्र कुमार शास्त्री ने अपना फैसला 25 जुलाई के लिए सुरक्षित रख लिया था।

    आजमगढ़ से किया था शहजाद को गिरफ्तार

    पुलिस ने शहजाद उर्फ पप्पू को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से गिरफ्तार किया था। शहजाद पर पुलिस का यह इल्जाम है कि जामिया नगर के बाटला हाउस में जिस वक्त आतंकियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ हो रही थी, वह उसी मकान में मौजूद था जहां आतंकी ठहरे हुए थे। अदालत में दाखिल पुलिस के आरोपपत्र के मुताबिक शहजाद ही वह आतंकी है, जिसने पुलिस पर फायरिंग की और उसकी ही एक गोली से इंस्पेक्टर शर्मा की जान गई।

    अपनी चार्जशीट में पुलिस ने यही कहा है कि उस मुठभेड़ के दौरान शहजाद अपने दोस्त जुनैद के साथ बालकनी से कूदकर फरार हो गया था। इस मामले में पुलिस की तरफ से 29 अप्रैल 2010 में दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक मोहम्मद सैफ, मोहम्मद आतिफ, अमीन उर्फ बशीर और मोहम्मद साजिद को आरोपी बताया गया है, जबकि उसी चार्जशीट में ये भी दर्ज है कि दो आतंकी इस एनकाउंटर में मारे गए थे।

    दिल्ली में और धमाके करने की थी साजिश

    पुलिस के मुताबिक यह सभी आतंकी इंडियन मुजाहिदीन से संबध रखते थे, जो अहमदाबाद और दिल्ली धमाकों में तो शामिल थे ही, उनकी साजिश दिल्ली में तब और धमाके करने की थी। इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने मोहन चंद्र शर्मा जैसा अपना एक जांबाज सिपाही भी खोया।

    60 आतंकियों को मारने वाले शर्मा का आखिरी एनकाउंटर

    इंस्पेक्टर शर्मा ने अपनी 21 साल की पुलिस की नौकरी में 60 आतंकियों को मार गिराया था, जबकि 200 से ज्यादा खतरनाक आतंकियों और अपराधियों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर मशहूर इस जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के लिए बटला हाउस का यह एनकाउंटर आखिरी साबित हुआ।

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