बदायूं कांड: चौतरफा घिरी अखिलेश सरकार
बदायूं में दो बालिकाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार चौतरफा घिर गई है। केंद्रीय मंत्रियों के लगातार बदायूं दौरों के बाद भी राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का अभी तक वहां न जाना लोगों को काफी खल रहा है। इसके साथ ही आरोपियों पर एससी-एसस
लखनऊ। बदायूं में दो बालिकाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार चौतरफा घिर गई है। केंद्रीय मंत्रियों के लगातार बदायूं दौरों के बाद भी राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का अभी तक वहां न जाना लोगों को काफी खल रहा है। इसके साथ ही आरोपियों पर एससी-एससी एक्ट न लगाया जाना भी पुलिस की कारगुजारी पर सवालिया निशान लगा रहा है।
इस कांड के आठ दिन के बाद भी मामला काफी तूल पकड़ता जा रहा है। बयानबाजी से दूर रहने वाली केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हालात बेहद नाजुक मोड़ पर हैं। सूबे में महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। रोज सौ से अधिक दुष्कर्म के मामले हो रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। बदायूं की बेहद शर्मनाक घटना का यूनाइटेड नेशंस ने संज्ञान लिया है लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अभी तक वहां जाने का मौका नहीं मिला है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव भी पीड़ित परिवार का हालचाल लेने नहीं गए जबकि बदायूं से सपा के सांसद को पांच दिन वहां जाने का मौका मिला।
सात दिन बाद भेजी सीबीआइ जांच की सिफारिशी चिट्ठी:
बदायूं में दो नाबालिग बहनों की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच के लिए केंद्र सरकार को कल सिफारिशी चिट्ठी भेज दी है। इस पत्र के बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय सीबीआइ की सहमति लेकर जांच की अधिसूचना जारी करेगा। गृह विभाग ने घटना के सात दिन बाद कल केंद्र को बदायूं कांड की सीबीआइ जांच के लिए पत्र भेज दिया है। प्रमुख सचिव गृह अनिल कुमार गुप्ता ने इसकी पुष्टि की। घटना में फरार चल रहे दो अज्ञात आरोपियों के स्केच जारी किए गए हैं। पुलिस के मुख्य प्रवक्ता, आइजी कानून-व्यवस्था अमरेन्द्र कुमार सेंगर ने बताया कि दो आरोपियों का स्केच जारी किया गया है। चश्मदीद गवाहों के बताने के अनुसार स्केच तैयार कराया गया है। एससीएसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग उठने की बात पूछे जाने पर उन्होंने बताया यह तो स्थानीय स्तर पर बिल्कुल स्पष्ट है कि लड़कियों की जाति एससीएसटी नहीं है।
क्यों नहीं हुई धारा 166-ए के तहत कार्रवाई:
दो नाबालिग बहनों की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में प्रदेश सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कोर्ट ने पूछा है कि कटरा सआदतगंज कांड के आरोपी पुलिसकर्मियों पर धारा 166-ए की कार्रवाई न होने की वजह क्या है। अदालत जांच अधिकारी की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। अधिकारियों को विवेचना अधिकारी बदलने के निर्देश दिए गए हैं। बहनों की हत्या के आरोपी पुलिसकर्मी सर्वेश यादव और छत्रपाल के खिलाफ जांच अधिकारी सदर कोतवाल वीरपाल सिंह सिरोही ने धारा 166-ए के तहत कार्रवाई नहीं की, जबकि संबंधित धाराओं के अलावा पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 166-ए की भी कार्रवाई होनी थी। जांच अधिकारी सदर कोतवाल ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट अनिल कुमार की अदालत में पेश किया। जहां आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 166-ए की कार्रवाई नहीं की गई थी, जबकि मुकदमे में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि वादी ने घटना से पहले ही पुलिस चौकी जाकर सिपाही सर्वेश यादव व छत्रपाल को अपनी बेटियों के गायब होने की सूचना दी थी। यह भी कहा गया था उनके साथ कोई अनहोनी हो सकती है। इसके बाद भी पुलिस कर्मियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस को घटना से पूर्व सूचना देने के बाद कोई कार्रवाई न करने पर पुलिस कर्मियों के खिलाफ धारा 166-ए की कार्रवाई बनती है। विशेष न्यायाधीश ने जांच अधिकारी की विवेचना पर संदेह जताते हुए विवेचना दूसरे अधिकारी से करवाने के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
क्या है धारा 166-ए ?
अगर कोई व्यक्ति घटना से पहले सूचना देकर पुलिस को अवगत कराता है कि उसके साथ यह घटना घटित हो सकती है और पुलिस के कार्रवाई न करने पर घटना घटित हो जाए तो संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 166-ए की कार्रवाई की जाती है। इस जुर्म में न्यूनतम छह माह और अधिकतम दो वर्ष का कारावास हो सकता है।
अज्ञात आरोपियों को चिह्नित नहीं कर सकी पुलिस:
सामूहिक दुष्कर्म हत्याकांड में पांच नामजद आरोपियों के अलावा दो अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने नामजद आरोपियों को तलाश कर उन्हें जेल भेज दिया, लेकिन अज्ञात आरोपियों की अभी तक तलाश नहीं हो सकी है। मामले में पुलिस चौकी पर तैनात हेड कांस्टेबल छत्रपाल और सिपाही सर्वेश यादव समेत गांव के ही सगे भाई पप्पू यादव, अवधेश यादव, उर्वेश यादव समेत दो अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने नामजद पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने शक के आधार पर तीन युवकों को पकड़ा था। पुलिस ने दावा किया था कि वह एक दो दिन में ही अज्ञात आरोपियों को नामजद कर देगी। लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ अज्ञात आरोपियों तक नहीं पहुंचे हैं।
अब डीएनए उठाएगा वारदात से पर्दा:
सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के आरोपी भले ही जेल भेज दिए गए हों, लेकिन पुख्ता सच सामने नहीं आया है। पुलिस भी घटना के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं जुटा सकी है। पुलिस ने आरोपी और मृतक चचेरी बहनों का डीएनए टेस्ट कराने के लिए अदालत से अनुमति मांगी थी। अनुमति मिलने के बाद मृतक बहनों के कपड़े, स्लाइड और आरोपियों के ब्लड और स्लैब के सेंपल लेकर पुलिस हैदराबाद रवाना हो गई है। पुलिस के मुताबिक साधारण मामलों में यह रिपोर्ट आने में करीब तीन महीने लगते हैं, लेकिन यह मामला काफी संगीन है इसलिए दस दिनों में रिपोर्ट आ सकती है। रिपोर्ट आने के बाद सनसनीखेज वारदात का खुलासा हो जाएगा।
डीजीपी आज बदायूं में:
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एएल बनर्जी आज बदायूं में रहेंगे। बनर्जी का यह दौरा बदायूं के उसैहत में दुष्कर्म के बाद नाबालिग लड़कियों की हत्या के सिलसिले में है। वह इस दौरान अब तक हुई जांच की प्रगति और कार्रवाई की समीक्षा करेंगे और लौटकर उसे मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डीजीपी को निर्देशित किया कि बदायूं के ग्राम कटरा सआदतगंज पहुंचकर पीड़ित परिवार से मिलें। परिवार को दी जा रही सुरक्षा की जानकारी प्राप्त करें तथा विवेचना की प्रगति की समीक्षा भी करें।
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