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    बहुत महंगी पड़ेगी केजरीवाल की सस्ती बिजली

    By Edited By:
    Updated: Thu, 30 Jan 2014 09:03 AM (IST)

    केजरीवाल सरकार द्वारा बिजली की कीमतों को आधा करने का लोकलुभावन फैसला दिल्ली के लोगों की जेब पर बहुत भारी पड़ने वाला है। फैसले को अमल में लाने के लिए हर साल सरकारी खजाने से करीब 133

    नई दिल्ली, [अजय पांडेय]। केजरीवाल सरकार द्वारा बिजली की कीमतों को आधा करने का लोकलुभावन फैसला दिल्ली के लोगों की जेब पर बहुत भारी पड़ने वाला है। फैसले को अमल में लाने के लिए हर साल सरकारी खजाने से करीब 1338 करोड़ रुपये निजी बिजली कंपनियों को सब्सिडी के तौर पर देने होंगे। जाहिर तौर पर यह पैसा जनता द्वारा विभिन्न मदों में चुकाई गई कर की राशि से ही बिजली कंपनियों के खातों में पहुंचेगा।

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    बता दें कि चुनावी वायदा पूरा करते हुए राज्य सरकार ने 400 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं के लिए कीमतें आधा करने का फैसला किया था। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी थी कि सरकार पर जनवरी से मार्च तक के तीन महीने में इस मद पर सब्सिडी का करीब 200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। लेकिन सरकार के ऊर्जा विभाग द्वारा किए गए आकलन के अनुसार यह राशि करीब 308 करोड़ रुपये होगी, जबकि पूरे साल में सरकार को 1338 करोड़ रुपये बतौर सब्सिडी निजी बिजली कंपनियों को चुकाने होंगे।

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    विस में अलग से पारित करना होगा प्रस्तावच्

    उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि सरकार के ऊर्जा विभाग ने अपने आकलन से वित्त विभाग को अवगत करा दिया है। महत्वपूर्ण यह है कि सरकार ने निजी बिजली कंपनियों को सब्सिडी देने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन बजट में राशि का कोई प्रावधान नहीं था। हालत यह है कि जब तक विधानसभा में इस मामले में अलग से प्रस्ताव पारित नहीं कर दिया जाता, तब तक यह राशि निजी बिजली कंपनियों को नहीं दी जा सकती है। बजट प्रावधानों में किसी भी प्रकार के परिवर्तन का अधिकार केवल विधानसभा को ही है।

    सरकार व कंपनियों के बीच बेहद तल्ख रिश्ते

    निजी बिजली कंपनियों के खातों की जांच भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) से कराए जाने के सरकारी फैसले के बाद इन कंपनियों से सरकार के रिश्तों में बेहद तल्खी आ गई है। दूसरी ओर सरकार को समर्थन देने वाली कांग्रेस पार्टी का कहना है कि उसने बिजली के दाम घटाने को लेकर सरकार को समर्थन जरूर दिया था, लेकिन सब्सिडी को लेकर उससे बातचीत नहीं की गई है। लिहाजा, यह भी देखना होगा कि सरकार संबंधित प्रस्ताव किस प्रकार विधानसभा से पारित कराएगी। भाजपा पहले ही इस मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है।

    एक फरवरी से आने लगे लगेंगे बिल

    दिलचस्प यह भी है कि सब्सिडी पहले निजी कंपनियों को दे दी जाती है, उसके बाद कंपनियां आम उपभोक्ताओं के बिलों से सब्सिडी की रकम कम कर उन्हें बिल भेजती हैं। आलम यह है कि पहली फरवरी से उपभोक्ताओं के पास बिल आने लगेंगे। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो निजी बिजली कंपनियों से कहा गया है कि बहुत जल्द विधानसभा की बैठक होने वाली है। उसमें सब्सिडी की रकम को लेकर सरकार मंजूरी हासिल कर लेगी और 15 फरवरी तक कंपनियों के खातों में रकम पहुंचा दी जाएगी।

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