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    'रामलला' को आजाद देखना चाहते हैं हाशिम

    By Sanjay BhardwajEdited By:
    Updated: Thu, 04 Dec 2014 08:47 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खां पर मुस्लिम समुदाय को धोखा देने का आरोप लगाते हुए बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई हाशिम अंसारी ने अदालत में अब पैरवी न करने का फैसला किया है। उन्होंने आजम को अखिलेश यादव मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की भी मांग की। उन्होंने

    अयोध्या, जागरण न्यूज नेटवर्क। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आजम खां पर मुस्लिम समुदाय को धोखा देने का आरोप लगाते हुए बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई हाशिम अंसारी ने अदालत में अब पैरवी न करने का फैसला किया है। उन्होंने आजम को अखिलेश यादव मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि वह मामले के राजनीतिकरण से ऊब चुके हैं और अब रामलला को आजाद देखना चाहते हैं। हाशिम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुस्लिम हित में काम करने वाला शख्स बताते हुए उनकी प्रशंसा की। बनारस के जुलाहों के लिए किए जा रहे मोदी के प्रयासों को सराहा। उल्लेखनीय है कि 92 वर्षीय हाशिम पिछले 55 साल से बाबरी मस्जिद का मामला अदालत में लड़ रहे हैं।

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    हाशिम अंसारी ने कहा, आजम सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए बाबरी मस्जिद मसले से जुड़े और उसके बाद उन्होंने अयोध्या की ओर पलटकर नहीं देखा। हाशिम ने छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की बरसी पर होने वाले कार्यक्रम में भाग लेने से इन्कार कर दिया है। बाबरी मस्जिद मसले से हाशिम के इस रुख से मुस्लिम सियासत में हड़कंप की स्थिति है। समाजवादी पार्टी से जुड़े स्थानीय लोगों ने उन्हें बुधवार शाम मनाने की कोशिश भी की लेकिन हाशिम ने अपने फैसले को बदलने से इन्कार कर दिया। हाशिम ने प्रधानमंत्री ने मिलने की इच्छा जतायी। कहा कि वह विवाद के बिंदुओं पर उनके साथ बैठकर बात करना चाहते हैं।

    हाजी ने हाशिम को बताया पाखंडी

    अयोध्या। अंजुमन मोहाफिज मकाबिर व मस्जिद के सदर एवं बाबरी मस्जिद के एक अन्य मुद्दई हाजी महबूब आक्रोश जताते हैं। वह हाशिम के उस बयान से नाखुश हैं, जिसमें उन्होंने बाबरी मस्जिद की पैरवी से पल्ला झाडऩे के साथ रामलला के मंदिर को लेकर ङ्क्षचता जताई थी। उन्होंने कहा कि अकेले हाशिम के पाला बदलने से कुछ भी नहीं होने वाला है- वह पाखंडी हैं।

    सिंहल-कटियार ने डाला खलल: ज्ञानदास

    अयोध्या। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने कहा कि सन 2010 में मंदिर-मस्जिद विवाद में हाई कोर्ट का फैसला आने के दौरान ही उन्होंने हाशिम अंसारी सहित निर्मोही अखाड़ा एवं मामले के एक अन्य वादी स्वामी चक्रपाणि के साथ बातचीत के बाद मामले को लगभग सुलझा लिया था पर अपनी दुकान बंद होने के डर से अशोक सिंहल एवं विनय कटियार ने उसमें खलल डाल दिया।

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