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    मोदी को घेरने की कोशिश में खुद घिरे राहुल

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    Updated: Mon, 07 Apr 2014 08:45 PM (IST)

    गुजरात में लड़की की कथित जासूसी का मुद्दा उठाकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भले ही नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन इससे वह खुद ही सवालों में आ गए हैं। लगभग साढ़े तीन महीने पहले संप्रग सरकार ने इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन का फैसला किया था, लेकिन आज तक यह गठित नहीं ह

    नई दिल्ली, नीलू रंजन। गुजरात में लड़की की कथित जासूसी का मुद्दा उठाकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भले ही नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन इससे वह खुद ही सवालों में आ गए हैं। लगभग साढ़े तीन महीने पहले संप्रग सरकार ने इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन का फैसला किया था, लेकिन आज तक यह गठित नहीं हो सका। हालत यह है कि गृह मंत्रालय ने अगली सरकार के फैसले के लिए तैयार लंबित मामलों की सूची में इसे सबसे ऊपर रखा है।

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    दरअसल पिछले साल दिसंबर में लड़की की कथित जासूसी का मामला सामने आने के बाद नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश हुई थी। तमाम मंचों से मोदी पर निशाना साधने के बाद 26 दिसंबर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस मामले की जांच न्यायिक आयोग से कराने का फैसला किया गया। इसके अनुसार न्यायिक जांच आयोग को तीन महीने के भीतर यानी चुनाव के ठीक पहले अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी थी। जाहिर है चुनाव के पहले इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी को घेरने की पुख्ता तैयारी हो गई थी।

    हैरानी की बात यह है कि कैबिनेट के फैसले को लागू करने के लिए संप्रग सरकार सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का कोई सेवानिवृत न्यायाधीश ही नहीं ढूंढ पाई। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके लिए एक दर्जन से अधिक सेवानिवृत न्यायाधीशों से संपर्क किया गया, लेकिन सभी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ राजनीति से प्रेरित जांच में शामिल होने से इन्कार कर दिया। गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने सबसे पहले पांच जनवरी को 'मोदी के खिलाफ जांच के लिए नहीं मिल रहे हैं जज' शीर्षक से यह खबर विस्तार से प्रकाशित की थी।

    न्यायिक जांच के सहारे नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश में बुरी तरह विफल रहने के बाद गुजरात कैडर के आइएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर इसकी सीबीआइ से जांच कराने की मांग कर दी। भ्रष्टाचार और अनियमितता के गंभीर आरोपों में घिरे प्रदीप शर्मा इसके सहारे खुद को पीड़ित बताने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दस्तावेजी सबूतों के साथ प्रदीप शर्मा की करतूतों का पूरा कच्चा-चिट्ठा पेश कर दिया।

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