भारत ने रचा इतिहास, एस्ट्रोसैट PSLV-C30 लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा खगोलीय पिंडो के अध्ययन के लिए पूरी तरह से समर्पित भारत के प्रथम उपग्रह एस्ट्रोसैट को आज प्रक्षेपित किया गया। आज सुबह 10 बजे इस उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया।
श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा खगोलीय पिंडो के अध्ययन के लिए पूरी तरह से समर्पित भारत के प्रथम उपग्रह एस्ट्रोसैट को आज प्रक्षेपित किया गया। आज सुबह 10 बजे इस उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया।
एस्ट्रोसैट के साथ छह और उपग्रह हैं जिनमें एक-एक इंडोनेशिया और कनाडा से और चार छोटे उपग्रह अमेरिका से हैं। ये छह उपग्रह समुद्री निगरानी के लिए हैं। इसरो के मुताबिक एस्ट्रोसैट अंतरिक्ष वेधशाला के रूप में उसके द्वारा संचालित पहला मिशन है।
एस्ट्रोसैट में चार एक्सरे पेलोड,एक अल्ट्रा वायलेट दूरबीन और एक चार्ज पार्टिकल मॉनीटर है। ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन गया है। अभी तक अमेरिका, रूस और जापान ने ही अंतरिक्ष वेधशाला को लॉन्च किया है।
Polar Satellite launch vehicle PSLV C-30 carrying India’s satellite Astrosat launched from Sriharikota. pic.twitter.com/gN7KU1kaoS
— ANI (@ANI_news) September 28, 2015
पांच साल पहले ही लांच हो गया होता एस्ट्रोसैट
एस्ट्रोसैट को 2009-10 में लांच किया जाना था। बाद में यह तिथि बढ़ाकर 2012-13 की गई लेकिन तब भी मिशन पूरा नहीं हो सका। 2012-13 में इस मिशन के लिए 6 करोड़ निर्धारित थे जो घटाकर पांच करोड़ कर दिए गए। इसी तरह 2014-15 में बजट में फिर कटौती की गई। प्रक्षेपण में हुई देरी के बारे में विभाग का तर्क है कि यह अंतरिक्ष विज्ञान का एक जटिल शोध कार्य है, इसलिए इसमें पूरी दुनिया के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की भागीदारी रही। इस प्रक्रिया में देर हुई।
कई तरंग आयाम में देख सकता है
बंगलूरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर सुजान सेनगुप्ता के अनुसार एस्ट्रोसैट कई तरंग आयाम (वेवलेंथ) में देख सकता है। यह दुनिया का पहला वैज्ञानिक टेलीस्कोप है, जिसमें चार विशेषीकृत कैमरे लगे हुए हैं, जो एक साथ अलग-अलग तरंगदैर्घ्य के पदार्थों को पकड़ सकते हैं।
इन संस्थाओं का भी रहा सहयोग
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बंगलूरू, इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट बंगलूरू, कनाडा स्पेस एजेंसी, यूनिवर्सिटी ऑफ लीस्टर यूके।
•देश के पास होगा अंतरिक्ष में अपना टेलीस्कोप
•छह विदेशी उपग्रह भी लांच करेगा इसरो
•दुनिया भर की नजर भारतीय वैज्ञानिकों पर
जानें ये खास बातें
-एस्ट्रोसैट का वजन 1,513 किलोग्राम है
-यह 180 करोड़ रुपए की लागत से बना है
-भारतीय एस्ट्रोसैट उपग्रह के अलावा अमेरिका के चार और इंडोनेशिया तथा कनाडा के एक-एक उपग्रह भी
-एस्ट्रोसैट को पृथ्वी से 650 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित किया जाएगा
-आज छह विदेशी उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में 50 वर्ष पूरा कर लेगा
-भारत अब तक शुल्क लेकर 45 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर चुका है
-इसरो ने 2010 में एक साथ 10 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था, जिसमें भारत के दो काटरेसैट-2ए उपग्रह भी शामिल थे
-आज भारत तीसरी बार एक साथ सात उपग्रहों का प्रक्षेपण किया
-सात उपग्रहों को ले जाने वाला यह चार स्तरीय पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट 44.4 मीटर लंबा और 320 टन वजनी है
-इस अभियान में कुल 25 मिनट का समय लगेगा
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