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असम सरकार को जिम्मेदार मान रहीं सुरक्षा एजेंसियां

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भले ही कोकराझाड़ में ताजा जातीय दंगों के लिए केंद्रीय बलों के समय पर नहीं पहुंचने को जिम्मेदार ठहरा रहे हों, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इसके लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार मान रही हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गोगोई सरकार ने 200

By Edited By: Published: Sun, 29 Jul 2012 09:41 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2012 09:47 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भले ही कोकराझाड़ में ताजा जातीय दंगों के लिए केंद्रीय बलों के समय पर नहीं पहुंचने को जिम्मेदार ठहरा रहे हों, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इसके लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार मान रही हैं।

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गोगोई सरकार ने 2008 के उदालगुरी दंगों से कोई सबक नहीं लिया और यहां तक कि इन दंगों के कारणों की जांच के लिए खुद के बनाए फूकन आयोग की सिफारिशों को भी ताक पर रख दिया।

अगस्त 2008 में कोकराझाड़ से लगे उदालगुरी जिले में बोडो और अल्पसंख्यकों के बीच भीषण दंगों में 51 लोग मारे गए थे और लगभग दो लाख लोगों को घर-बार छोड़कर भागना पड़ा था। उस वक्त राज्य सरकार ने दंगे के कारणों का पता लगाने के लिए असम हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पीसी फूकन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। 21 जुलाई 2010 को राज्य विधानसभा में पेश आयोग की रिपोर्ट में दंगों के लिए मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन ऑफ असम [मूसा] के भड़काऊ क्रियाकलापों के साथ-साथ राज्य के खुफिया तंत्र की विफलता को जिम्मेदार ठहराया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने न तो दंगों के लिए जिम्मेदार मूसा के नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई की और न ही संवेदनशील इलाकों में खुफिया तंत्र को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाया।

कोकराझाड़ और उदालगुरी समेत उससे सटे जिले में बोडो और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच तनाव नई बात नहीं है। ताजा दंगों के एक महीना पहले से ही जंगल की जमीन पर मस्जिद और कब्रगाह को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनातनी बढ़ गई थी। स्थानीय पुलिस व प्रशासन को इसकी पूरी जानकारी थी, लेकिन तनाव को कम करने के उपाय नहीं किए गए।

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