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    ऑर्ट ऑफ लिविंग ने दुनिया के 100 शहरों में कराया योगाभ्‍यास

    By Sanjay BhardwajEdited By:
    Updated: Tue, 16 Jun 2015 11:55 AM (IST)

    21 जून को अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस की तैयारियों के मद्देनजर 'आर्ट ऑफ लिविंग' के बैनर तले विश्‍व के 100 शहरों में लोगों ने सूर्योदय के साथ उठर योग साधना की।

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    बेंगलुरु। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियों के मद्देनजर 'आर्ट ऑफ लिविंग' के बैनर तले विश्व के 100 शहरों में लोगों ने सूर्योदय के साथ उठर योग साधना की।

    आर्ट ऑफ लिविंग योग प्रशिक्षक एवं ग्लोबल हैड कमलेश बारवाल ने बताया कि 'सन नेवर सेट्‌स इन योगा' नामक इस भव्य आयोजन में पांच महाद्वीपों के लोगों ने योग के वास्तविक अर्थों को साकार किया। उन्होंने कहा कि योग शरीर के सभी तत्वों को एक करता है और शरीर, मन व आत्मा में नया स्फूर्ति प्रदान करता है।

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    उन्होंने बताया कि उगते हुए सूरत के देश जापान से लेकर बुडापेस्ट, सेंट पीटर्सबर्ग से लेकर लंदन तक और न्यूयॉर्क से लेकर रियो डि जेनेरियो तक के लोग अलग-अलग ऐतिहासिक स्थानों पर जैसे-इस्तांबुल, बीजिंग, शंघाई, हांगकांग, टोकियो, सिडनी और ऑकलैंड सहित अन्य स्थानों पर लोग इस कार्यक्रम के हिस्सा रहे। रूस, म्यांमार, श्रीलंका, साउथ अफ्रीका, कनाडा, लिथुआनिया और कंबोडिया, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, टर्की और इंडोनेशिया के अनेक शहरों में भी सूर्योदय के साथ इस प्राचीन विद्या का अभ्यास किया गया।

    भारत में आगरा के ताजमहल से लेकर बेंगलुरु के आर्ट आॅफ लिविंग अंतरराष्ट्रीय केंद्र में विशालाक्षी मंडप तक इस आयोजन का हिस्सा रहे। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि पिज्जा या चाउमीन खाने से कोई इटालियन या चाइनीज नहीं बन जाता, उसी तरह योग करने से कोई भारतीय या हिन्दू नहीं हो जाता है। जब हम अन्य देशों के भोजन, फैशन, संगीत और तकनीक को एक प्रगतिशील सोच के साथ स्वीकार करते हैं तो भारत की प्राचीन बुद्धिमत्ता योग क्यों नहीं? उन्होंने बताया कि योग आज आराम, खुशी और रचनात्मकता का दूसरा नाम हो गया है। विश्व इसको जीवन स्तर में सुधार का एक माध्यम मानता है।



    आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर भी रविवार, 21 जून 2015 को संयुक्त राष्ट्र में उपस्थित रहेंगे, जहां से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत होगी। श्रीश्री ने योग के लाभों के बारे विश्व को बताने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूरोपीय संसद से लेकर कैपिटॉल हिल, अमेरिका से लेकर यूनेस्को हेडक्वार्टर पेरिस तक, श्रीश्री ने पूरे विश्व की यात्रा करके योग के लाभ बताकर इसे आवश्यक और इसकी स्वीकार्यता बताई है। उनके द्वारा योग को बताने की विधि से हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों ने इसे पूरे विश्वास के साथ स्वीकार्य किया है।

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