चीन को टक्कर देने के लिए पूर्वोत्तर की सीमा पर होगी ब्रह्मोस की तैनाती
भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में चीन को जवाब देने के लिए ब्रह्मोस की तैनाती के लिए हरी झंडी दे दी है।
नई दिल्ली। भारत सरकार ने आर्मी को पूर्वोत्तर में चीन के खिलाफ पारस्परिक शक्ति संतुलन बनाने के लिए सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के अत्याधुनिक संस्करण की तैनाती के लिए हरी झंडी दे दी है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में 4,300 रुपये से अधिक की लागत से तैयार ब्रह्मोस रेजिमेंट को मंजूरी दे दी। रेजिमेंट में करीब 100 मिसाइल, 5 मोबाइल ऑटोनोमस लॉन्चर्स और मोबाइल कमांड पोस्ट शामिल है। चीनी की विशाल सेना को जवाब देने के लिए ब्रह्मोस के ब्लॉक-3 वर्जन को अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया जाएगा।
गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना के अग्रिम लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई ने बीते हफ्ते पहली बार सुपरसोनिक क्रूज प्रक्षेपास्त्र ब्रह्मोस के साथ सफलतापूर्वक उड़ान भरी। इस उड़ान के साथ ही भारतीय वायुसेना दुनिया की पहली ऐसी एयरफोर्स बन गई है जिसके जंगी बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल शामिल हो गई है। भारत के पास अब जल, थल और आकाश से परमाणु हमला करने में सक्षमता हासिल हो गई है।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस फाइटर जेट सुखोई-30 ने भरी उड़ान
भारत और रूस ने मिलकर इस सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल का विकास किया है। इसे पनडुब्बी, युद्धपोत, जमीन और विमान से दागा जा सकता है। वहीं सुखोई 30 एमकेआइ भारतीय वायुसेना का अग्रिम लड़ाकू विमान है। इसका निर्माण विमान रूसी कंपनी सुखोई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के सहयोग से किया गया है।\
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत
ब्रह्मोस मिसाइल की स्पीड 2.8 मैक है, जो कि इसे दुनिया की तेज स्पीड वाली मिसाइल बनाती है। ब्रह्मोस मिसाइल 290 किलोमीटर तक दुश्मन के ठिकानों पर अटैक कर सकती है। ये ताकतवर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो एटम बमों को भी अपने साथ ले जा सकती है। ब्रह्मोस मिसाइल जमीन और समुद्र से आसमान में दुश्मन पर अटैक कर सकती है। 2007 में ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को इंडियन आर्मी के सैन्य बेड़े में शामिल किया गया था। इंडियन आर्मी के पास मौजूदा समय में ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम के तीन रेजिमेंट हैं। ब्रह्मोस मिसाइल अपने साथ 300 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकती है।
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