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    खामियों के चक्रव्यूह में फंसा 'अर्जुन'

    By Edited By:
    Updated: Wed, 06 Nov 2013 02:37 AM (IST)

    स्वदेशी युद्धक टैंक अर्जुन तकनीकी खामियों के चक्रव्यूह को नहीं तोड़ पा रहा है। मुख्य युद्धक टैंक के तौर पर तैयार अर्जुन-मार्क 2 के हालिया परीक्षणों के दौरान बैरल से निकला धुआं मुख्य चेंबर में भरने की बीमारी सामने आई है। वहीं इस तकनीकी रोड़े ने एमबीटी अर्जुन के सेना में शामिल होने की मियाद बढ़ा दी

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। स्वदेशी युद्धक टैंक अर्जुन तकनीकी खामियों के चक्रव्यूह को नहीं तोड़ पा रहा है। मुख्य युद्धक टैंक के तौर पर तैयार अर्जुन-मार्क 2 के हालिया परीक्षणों के दौरान बैरल से निकला धुआं मुख्य चेंबर में भरने की बीमारी सामने आई है। वहीं, इस तकनीकी रोड़े ने एमबीटी अर्जुन के सेना में शामिल होने की मियाद बढ़ा दी है।

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    पढ़ें: पोखरण में फिर गरजेगा अर्जुन टैंक

    उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, अगस्त में राजस्थान के पोखरण में अर्जुन टैंक के मिसाइल फायर परीक्षणों के दौरान बैरल से निकले धुएं के मुख्य चालक कक्ष में भरने की समस्या दर्ज की गई। यह परेशानी गंभीर है क्योंकि इसके कारण चालक का दम घुटने का भी खतरा है।

    अर्जुन को विकसित करने वाले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को भी इसकी जानकारी है तथा इसे दूर करने के प्रयास अब किए जाने हैं। अर्जुन अपनी 120 मिमी गन से एंटी टैंक मिसाइल भी फायर करने में सक्षम है।

    ताजा तकनीकी खामी के कारण 2015 में अर्जुन-मार्क2 को सेना में शामिल करने की योजना खटाई में पड़ सकती है। अर्जुन को अगली पंक्ति की तैनाती के लिए मंजूरी देने से पहले सेना मुख्यालय हर पैमाने पर संतुष्ट होना चाहेगा। इसका परीक्षण बीते दो सालों से जारी हैं।

    अर्जुन-मार्क2 का हालिया परीक्षण भी साठ से अधिक संशोधनों और सुधारों की कामयाबी आंकने के लिए किया गया था। इसमें टैंक के लिए नाइट विजन, थर्मल इमेजिंग, टैंक रोधी मिसाइल फायरिंग, ऑटोमेटिक टार्गेट ट्रैकिंग आदि शामिल हैं।

    स्वदेशी अर्जुन टैंक परियोजना चार दशक से अधिक पुरानी है। वैसे टैंक कहने भर को ही स्वदेशी है क्योंकि इसमें 55 फीसद उपकरण विदेशी हैं। यह बात डीआरडीओ रक्षा मंत्रालय संबंधी संसदीय समिति को दिए अपने प्रतिवेदन में स्वीकार कर चुका है। इस परियोजना के लेकर सेना और डीआरडीओ के बीच खींचतान भी काफी समय से चली आ रही है।

    इसकी क्षमताओं को लेकर आशंकित सेना ने अर्जुन और रूसी मूल के टी-90 टैंक की बाकायदा प्रतिस्पर्धा भी कराई थी। हालांकि, इस तुलनात्मक प्रतियोगिता में अर्जुन जीत तो गया लेकिन अभी भी सेना का दिल जीतने के लिए उसे परीक्षा पास करना जरूरी है।

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