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    अन्ना ने दिखा दी आम आदमी की ताकत

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    Updated: Thu, 19 Dec 2013 09:42 AM (IST)

    ऐसे समय में जब सारा देश सरकारी भ्रष्टाचार से बुरी तरह कराह रहा था, एक सामान्य सा बुजुर्ग इस गुस्से की आवाज बन गया। करीब साढ़े चार दशक से झूल रहा लोकपाल बिल अब संसद में पारित हुआ है तो इसमें अन्ना हजारे और उनके आंदोलन की भूमिका से इंकार नहीं कर सकता। रालेगण सिद्धि के इस बेहद सामान्य से दिखने वाले बुजुर्ग ने भूख

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ऐसे समय में जब सारा देश सरकारी भ्रष्टाचार से बुरी तरह कराह रहा था, एक सामान्य सा बुजुर्ग इस गुस्से की आवाज बन गया। करीब साढ़े चार दशक से झूल रहा लोकपाल बिल अब संसद में पारित हुआ है तो इसमें अन्ना हजारे और उनके आंदोलन की भूमिका से इंकार नहीं कर सकता। रालेगण सिद्धि के इस बेहद सामान्य से दिखने वाले बुजुर्ग ने भूखे रहकर पूरे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आग पैदा कर दी।

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    हिंदुस्तान का युवा इस बूढ़े अन्ना की भाषा को न सिर्फ समझता था, बल्कि उनके लिए भूखे रहकर भी लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरा। लोकपाल के मुद्दे से पहले ग्रामीण विकास और सरकारी काम में पारदर्शिता के लिए उनके काम दशकों से चले आ रहे हैं। दो साल पहले दिल्ली के जंतर-मंतर पर जब अन्ना हजारे एक कानून के अपने बनाए मसौदे को संसद में पास करवाने की मांग लेकर बैठे थे तो किसी ने सोचा नहीं होगा कि उनकी मांग का सकारात्मक असर हो सकेगा।

    पढ़ें: लोकपाल पर निगरानी रखेंगे अन्ना हजारे

    पांच अप्रैल, 2011 को शुरू हुए उस आंदोलन ने चार दिन में ही इतना जन समर्थन हासिल कर लिया कि सरकार पहली बार किसी कानून का मसौदा बनाने के लिए गैर सरकारी लोगों के साथ साझा समिति बनाने को तैयार हो गई। अन्ना और उनकी मांग को लोगों का समर्थन बढ़ता चला गया। ऐसे में उसी साल अगस्त में जब अन्ना रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे तो पूरी सरकार को घुटनों पर आना पड़ा।

    अन्ना के जन-लोकपाल आंदोलन में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। इस बार जब उन्होंने अपने गांव में अनशन पर बैठते हुए लोगों से देश भर में अपने-अपने शहरों में अनशन और प्रदर्शन की अपील की तो आम लोगों ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया। सरकार की ओर से इस बार बिल पारित करने में दिखाई गई तत्परता और अन्ना की ओर से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ पर उनके सबसे खास शिष्य रहे अरविंद केजरीवाल की टीम सवाल उठा रही है। मगर यह भी सच है कि आम आदमी पार्टी भी इस बुजुर्ग के कंधे पर सवार होकर ही यहां तक पहुंची है।

    भले ही संसद ने पूरी तरह से अन्ना का जनलोकपाल न पारित किया हो, जिस पर आम आदमी पार्टी सवाल उठा रही है, लेकिन यह एक मील का पत्थर तो बना ही है। लोकपाल बिल पास होने के साथ ही अन्ना ने यह एलान भी कर दिया है कि अब वे इसे ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए आगे भी प्रयास करते रहेंगे। इससे पहले उन्होंने सूचना का अधिकार कानून के लिए महाराष्ट्र में जोरदार अभियान चलाया था। राज्य के कई भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ आंदोलन कर सरकार को कदम उठाने को मजबूर किया है। इसी तरह अपने गांव को एक आदर्श गांव के रूप में विकसित करने के लिए भी उन्हें पहचान मिली है।

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