तेलंगाना पर आंध्र प्रदेश में बगावत
सियासी संतुलन साधने की कवायद में कांग्रेस ने तेलंगाना राज्य बनाने का एलान तो कर दिया, लेकिन फैसले से खुद पार्टी नेताओं के बगावती सुर तीखे हो गए हैं। रायलसीमा और तटीय आंध्र में गुस्सा भड़क उठा है। कांग्रेस के सांसदों, मंत्रियों और विधायकों में इस्तीफा देने की होड़ मच गई है। छात्र संगठनों ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में जबरदस्त प्रदर्शन किए। विजयनग्राम और गुंटूर में एक होमगार्ड सहित दो लोगों ने आत्महत्या कर ली। कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन भी हुए। गुस्साए लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की मूर्तियों को भी निशाना बनाया।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सियासी संतुलन साधने की कवायद में कांग्रेस ने तेलंगाना राज्य बनाने का एलान तो कर दिया, लेकिन फैसले से खुद पार्टी नेताओं के बगावती सुर तीखे हो गए हैं। रायलसीमा और तटीय आंध्र में गुस्सा भड़क उठा है। कांग्रेस के सांसदों, मंत्रियों और विधायकों में इस्तीफा देने की होड़ मच गई है। छात्र संगठनों ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में जबरदस्त प्रदर्शन किए। विजयनग्राम और गुंटूर में एक होमगार्ड सहित दो लोगों ने आत्महत्या कर ली। कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन भी हुए। गुस्साए लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की मूर्तियों को भी निशाना बनाया। राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय बलों के साथ बीएसएफ को भी तैनात किया गया। वहीं, रायलसीमा के कांग्रेस विधायकों ने अपने ही क्षेत्र में राजधानी की मांग कर डाली है।
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फैसले के साथ ही केंद्र के सामने मुसीबतों की पोटली खुल गई है। तेलंगाना के इतर शेष आंध्र प्रदेश भड़क गया है। वाईएसआर कांग्रेस के जगन रेड्डी ने फैसले के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है। वहीं, खुद कांग्रेस के भीतर भी बगावत भड़क गई है। मौजूदा माहौल से स्पष्ट है कि आसानी से तेलंगाना को अमलीजामा पहनाना मुश्किल होगा। रायलसीमा के चार और तटीय आंध्र के नौ जिलों में बुधवार को बंद रहा। बंद प्रभावित क्षेत्रों में जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। शिक्षण संस्थान, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहे। वहीं, कडप्पा, चित्ताूर, विशाखापत्तानम और कृष्णा सहित कई इलाकों में राज्य सड़क यातायात निगम की सेवाएं बंद रहीं।
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विजयवाड़ा में बंद के दौरान छात्रों ने कई जगह जाम लगाया। बार एसोसिएशन ने अपने सदस्यों से काम बंद रखने की अपील की। विशाखापत्तानम में भी छात्रों की संयुक्त कार्रवाई समिति के साथ कई संगठनों ने प्रदर्शन किए। पूर्वी गोदावरी में पूर्ण बंद के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की दो प्लाटून और बीएसएफ की दो बटालियन भेजनी पड़ीं। अनंतपुर कस्बे में गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके अलावा अनंतपुर के मंडल राजस्व कार्यालय में भी तोड़फोड़ की। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। राजमुंदरी में कांग्रेस और तेदेपा कार्यकर्ताओं में भिडंत भी हुई।
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मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने भी कहा है कि अलग तेलंगाना का फैसला मेरे लिए भी दुखदायी है। मामला भड़कते देख केंद्र भी सतर्क है। मामला गरमाता देख रायलसीमा क्षेत्र के लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए कांग्रेस महासचिव व आंध्र प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, 'यह भारी मन से लिया गया कठिन फैसला है।' मौजूदा हालात में तेलंगाना समर्थक भी नए राज्य के रूप लेने को लेकर आशंकित हो रहे हैं। पृथक तेलंगाना बनने पर इस्तीफे की धमकी देने वाले कुछ मंत्रियों ने बुधवार को मुख्यमंत्री रेड्डी से मुलाकात की। इनमें ईपी रेड्डी ने बताया कि उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी को सौंप दिया है। टीजी वेंकटेश, ईपी रेड्डी, जी. श्रीनिवास और पी. सत्यनारायण ने सीएम से कांग्रेस आलाकमान के फैसले पर चर्चा की। वेंकटेश ने बताया कि रायलसीमा और तटीय आंध्र के विधायक व सांसद गुरुवार को बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
संप्रग और कांग्रेस के मुहर लगाने के बाद भी आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना राज्य बनने में जटिल संवैधानिक औपचारिकताएं अभी बाकी हैं। चुनावी साल में तेलंगाना बनने का रास्ता साफ हो गया है। फैसले के मुताबिक, हैदराबाद 10 साल आंध्र प्रदेश व तेलंगाना की संयुक्त राजधानी होगी और अलग राज्य बनने की पूरी प्रक्रिया मई 2014 तक पूरी होगी। पहले यह प्रस्ताव कैबिनेट में जाएगा। यहां से संसद के दोनों सदनों में इसे पास कराया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति के दस्तखत से अलग राज्य की शक्ल तय होगी।
'अच्छा होता अगर पृथक राज्य के लिए बलिदान देने वाले युवा भी तेलंगाना गठन होते देख पाते। हमें इस बात का दुख है। यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि फैसला सही समय पर नहीं लिया गया।'
-राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष
'एक राज्य का विभाजन एक परिवार को बांटने जैसा होता है, लेकिन एक समय ऐसा आता है जब दोनों की भलाई के लिए ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं। यह भारी मन से लिया गया कठिन फैसला है।'
-दिग्विजय सिंह, कांग्रेस महासचिव
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