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यूपी भाजपा में दिखने लगा 'शाह इफेक्ट', पूर्व पदाधिकारी भी बनेंगे प्रभारी

उत्तर प्रदेश भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का 'शाह इफेक्ट' दिखने लगा है। अब मिशन-2017 की तैयारी को संगठन में कसाव लाने के लिए परिणाम आधारित फार्मूले को लागू किया जाएगा, शुरुआत प्रकोष्ठों से होगी। नौ समूहों में बांटे गए 48 प्रकोष्ठों के संयोजकों से उनके कार्यों का ब्यौरा मांगा गया और एक माह में बेहतर रिजल्ट नहीं देने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी। नियमित निगरानी के लिए महामंत्री स्तर के एक पदाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी है।

By Edited By: Published: Thu, 24 Jul 2014 12:44 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jul 2014 01:11 PM (IST)
यूपी भाजपा में दिखने लगा 'शाह इफेक्ट', पूर्व पदाधिकारी भी बनेंगे प्रभारी

लखनऊ, [अवनीश त्यागी]। उत्तर प्रदेश भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का 'शाह इफेक्ट' दिखने लगा है। अब मिशन-2017 की तैयारी को संगठन में कसाव लाने के लिए परिणाम आधारित फार्मूले को लागू किया जाएगा, शुरुआत प्रकोष्ठों से होगी। नौ समूहों में बांटे गए 48 प्रकोष्ठों के संयोजकों से उनके कार्यों का ब्यौरा मांगा गया और एक माह में बेहतर रिजल्ट नहीं देने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी। नियमित निगरानी के लिए महामंत्री स्तर के एक पदाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी है।

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प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल के कामकाज संभालने के तुरन्त बाद मोर्चा- प्रकोष्ठों की समीक्षा शुरू की। कहने के लिए प्रदेश में 48 प्रकोष्ठों का जिलास्तर तक संगठनात्मक ढ़ांचा बना है परन्तु आधे से ज्यादा प्रकोष्ठ महज पद बांटने तक ही सीमित रहें। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कहना है, प्रकोष्ठों के जरिए विभिन्न वर्गो को जोड़ने का प्लान था लेकिन सबके रिजल्ट अपेक्षित नहीं रहें। पद लेकर घर बैठने वालों को संगठन के दायित्व से मुक्त करने का विचार है।

नियमित होगी समीक्षा

प्रदेश के 48 प्रकोष्ठों के समूह बनाकर कामकाज की नियमित समीक्षा होगी। महामंत्री देवेंद्र सिंह चौहान को निगरानी करने का जिम्मा सौंपा गया। प्रकोष्ठों को नौ समूहों में विभक्त कर उनको काम का नए सिरे से बंटवारा किया जाएगा। मसलन सेवा कार्य से जुडे झुग्गी झोपड़ी, अंत्योदय, श्रमिक जैसे प्रकोष्ठों को एक समूह में लिया गया है। चिकित्सक, मछुआरा, विधि शिक्षा एवं सीए जैसे व्यवसाय वाले प्रकोष्ठों को उसी वर्ग के लोगों को ज्यादा से ज्यादा जोडऩे का लक्ष्य पूरा करना होगा।

पूर्व पदाधिकारी भी बनेंगे प्रभारी

प्रकोष्ठों के नवगठित नौ समूहों पर एक-एक प्रभारी तैनात होगा। पूर्व पदाधिकारियों को भी प्रभारी बनाकर प्रकोष्ठों का कार्य विस्तार करने की योजना पर काम होगा। विधानसभा क्षेत्रवार बैठकें व गोष्ठियों के जरिए लोगों को जोड़ा जाएगा। ऐसे लोगों को जोडऩे पर अधिक जोर रहेगा जो भाजपा के समर्थक है परन्तु पार्टी के कार्यक्रमों में सीधे तौर पर भाग लेने से कतराते है।

एक माह बाद होगा छंटनी अभियान

प्रकोष्ठों के कामकाज की समीक्षा एक माह बाद होगी। अपेक्षित रिजल्ट न देने वाले पदाधिकारियों के स्थान पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा ताकि संगठन में सक्रियता आ सके। युवाओं, पिछड़ों व दलित वर्ग के कार्यकर्ताओं को जोड़ने और दायित्व देने पर जोर रहेगा। लोकसभा चुनाव के बाद बने माहौल को बनाए रखने के लिए सभी वर्ग व क्षेत्र में संगठन विस्तार करने पर गंभीरता से काम करने की योजना है।

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