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JNU में एडमिशन रिफॉर्म के लिए जेल गए थे अभिजीत, अब मिला Nobel Prize 2019

अर्थशास्‍त्र के लिए नोबेल पुरस्‍कार पाने वाले अभिजीत बनर्जी की आज चारों तरफ चर्चा हो रही है। लेकिन उनकी कई बातें ऐसी हैं जिनके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 12:07 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 12:44 PM (IST)
JNU में एडमिशन रिफॉर्म के लिए जेल गए थे अभिजीत, अब मिला Nobel Prize 2019
JNU में एडमिशन रिफॉर्म के लिए जेल गए थे अभिजीत, अब मिला Nobel Prize 2019

नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल। अर्थशास्‍त्र में नोबेल पाने वाले भारतीय मूल के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी (Abhijit Vinayak Banerjee) की आज पूरे देश में चर्चा हो रही है। लेकिन उनके बारे में कई ऐसी बाते हैं जिनसे लोग वाकिफ नहीं हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि अर्थशास्‍त्र में नोबेल पाने वाले अभिजीत का पसंदीदा विषय अर्थशास्‍त्र न होकर मैथ्‍स था। मैथ्‍स को लेकर वो जुननी थे। इसी वजह से उन्‍होंने देश के बेहद प्रतिष्ठित इंस्टिट्यूट आईएसआई (Prestigious Indian Statistical Institute) में एडमिशन भी लिया था, लेकिन, कुछ ही दिनों में उसको छोड़ दिया। आईएसआई को छोड़ उन्‍होंने प्रसिडेंसी कॉलेज (Presidency College) में अर्थशास्‍त्र का विषय चुना था। उनकी मां निर्मला, जो खुद एक अर्थशास्‍त्री हैं मानती हैं कि झीमा (अभिजीत बनर्जी) एक एक्‍सीडेंटल इकोनॉमिस्‍ट हैं। वह मैथ्‍स की फील्‍ड में आगे जाना चाहते थे लेकिन फिर अचानक उन्‍होंने अपनी फील्‍ड बदल ली।

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इसलिए छोड़ा आईएसआई

यहां पर सभी के जहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर अभिजीत ने अपना विषय बदलने का फैसला क्‍यों किया। इस सवाल का जवाब उनकी मां के पास है। निर्मला के मुताबिक अभिजीत ने काफी ट्रेवल किया जिसकी वजह से उसका रुझान मैथ्‍स से हटकर अर्थशास्‍त्र की तरफ हुआ। इन लंबी यात्राओं के दौरान उन्‍होंने देश की गरीबी को करीब से देखा और समझा। यही कारण उनके फील्‍ड बदलने की बड़ी वजह भी बना। जिस वक्‍त उन्‍होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज चुना उस वक्‍त वहां पर उनके पिता दीपक पढ़ाते भी थे। 

म्‍यूजिक से लेकर खाना बनाने तक का शौक

उन्‍हें क्‍लासिकल म्‍यूजिक का काफी शौक था, लिहाजा खाली समय उनका उसे ही सुनने में गुजरता था। इसके अलावा हर स्‍पोर्ट्स पसंद है। टे‍बल टेनिस से लेकर क्रिकेट तक सभी कुछ उन्‍होंने खेला और एन्‍जॉय किया।उनकी मां के मुताबिक अभिजीत एक अच्‍छे कुक भी हैं। अभिजीत बनर्जी को खाना बनाना काफी पसंद है। मराठी और बंगाली खाना वो बहुत अच्‍छा बना लेते हैं। बेहद कम लोग इस बात से भी वाकिफ होंगे कि जेएनयू में पढ़ाई करने के दौरान अभिजीत जेल की हवा तक खा चुके हैं। 1983 एडमिशन रिफॉर्म को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान जिन 300 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था उनमें एक अभिजीत भी थे। अभिजीत करीब दस दिन तक जेल में रहे थे।    

कांग्रेस की 'न्याय' योजना

लोकसभा चुनाव के दौरान उन्‍होंने कांग्रेस द्वारा चुनावी वायदे के तौर पर दी गई न्‍याय योजना का अंतिम खाका अभिजीत ने ही तैयार किया था। इस बारे में अंतिम निर्णय लेने से पहले कांग्रेस ने जब अभिजीत की राय जाननी चाही थी तो उन्‍होंने इसके पूर्व प्रारूप में से कुछ चीजों में बदलाव कर इसको चुनावी घोषणा पत्र का हिस्‍सा बनाने को हरी झंडी दी थी। उनका कहना था कि इस योजना से गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के हाथों में पैसा आएगा, जो गरीबी हटाने में मददगार साबित होगा और इससे देश की अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार होगा।  

एक नजर इधर भी

आपको बता दें कि अभिजीत और उनकी पत्‍नी एस्‍थर डुफ्लो ने गरीबी से निपटने के कई सिद्धांत दिए हैं, जिन्‍हें कई देशों ने अपने यहां पर लागू भी किया है। अफ्रीका के कुछ देश इसमें शामिल हैं। जिन देशों ने इन सिद्धांतों को लागू किया है उन्‍हें इससे फायदा भी हुआ है। आपको बता दें कि अभिजीत की पत्नी एस्‍थर डुफ्लो अर्थशास्‍त्र में नोबेल पाने वाली दुनिया की दूसरी महिला हैं। वहीं एस्‍‍‍‍‍थर और अभिजीत ऐसे छठे दंपत्ति हैं जिन्‍हें ये सम्‍मान मिला है। अभिजीत और डुफ्लो ने भारत के कई राज्‍यों और शहरों में काम किया है। उदयपुर में टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए जो योजना लागू की गई थी उसका खाका भी अभिजीत ने ही तैयार किया था। 

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