नोटबदली से सभी मामलों की पूरी पड़ताल चाहती हैं एजेंसियां
सीबीआइ सरकार से देश भर में नए नोटों की बरामदगी के सभी मामलों की जांच सौंपने की मांग कर रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआइ नए नोटों की बरामदगी के सभी मामलों की पूरी पड़ताल चाहती है। सीबीआइ सरकार से देश भर में नए नोटों की बरामदगी के सभी मामलों की जांच सौंपने की मांग कर रही है। लेकिन आयकर विभाग किसी भी मामले में एफआइआर दर्ज कराने से बच रहा है।
इस कारण न तो सीबीआइ और न ही ईडी इन मामलों की जांच अपने हाथ में ले पा रही है। आयकर विभाग की कोताही को देखते हुए अब आरबीआइ को शिकायतकर्ता बनाकर केस दर्ज करने के उपाय पर विचार किया जा रहा है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पूरे देश में नए नोटों की सबसे अधिक बरामदगी आयकर विभाग कर रहा है। लेकिन उसने अभी तक एक भी मामले में पुलिस या सीबीआइ को शिकायत नहीं की है। एफआइआर दर्ज नहीं होने के कारण आरोपियों के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू नहीं हो पा रही है और न ही मनी लांड्रिंग के तहत कार्रवाई हो रही है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने आयकर विभाग के इस तर्क को खारिज कर दिया कि उनका काम पकड़े गए नोटों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आयकर का आंकलन करना है, न कि उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत कराना। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बहानेबाजी के पहले आयकर विभाग के अधिकारियों को आइपीसी की धारा 39 को ठीक से पढ़ लेना चाहिए। जिसमें आम जनता को भी किसी भी अपराध के होने की जानकारी पुलिस या संबंधित एजेंसी को देना की बात कही गई है।
उनके अनुसार करोड़ों रुपये के 2000 के नए नोट आरबीआइ के नियम का उल्लंघन कर बैंक अधिकारियों की आपराधिक मिलीभगत से ही बाहर आ रहे हैं। ऐसे में आयकर विभाग को इसकी शिकायत करने चाहिए। ईडी और सीबीआइ अब आयकर विभाग को केस दर्ज कराने का निर्देश देने के लिए सरकार पर दबाव बना रही है।
यदि इसके बावजूद आयकर विभाग का सहयोग नहीं मिलता है, तो आरबीआइ सीधे तौर पर सीबीआइ को जांच सौंप सकता है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आरबीआइ चाहे तो सीबीआइ में नए नोटों को बैंकिंग सिस्टम से बाहर लाने की आपराधिक साजिश की शिकायत कर सकता है। एक बार आरबीआइ से शिकायत मिलने के बाद सीबीआइ खुद-ब-खुद नए नोट पकड़े जाने के सभी मामलों की जांच हाथ में ले सकता है और सीबीआइ की एफआइआर दर्ज होने के साथ ही ईडी को मनी लांड्रिंग के तहत कार्रवाई का मौका मिल जाएगा।
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