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सांप्रदायिकता के खिलाफ 11 और लेखकों ने लौटाए पुरस्कार

सांप्रदायिकता के खिलाफ लेखकों का विरोध और तेज होता जा रहा है। सोमवार को 11 और साहित्यकारों ने देश में बढ़ रही असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी पर हो रहे हमले के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 13 Oct 2015 02:20 AM (IST)Updated: Tue, 13 Oct 2015 05:18 AM (IST)
सांप्रदायिकता के खिलाफ 11 और लेखकों ने लौटाए पुरस्कार

नई दिल्ली। सांप्रदायिकता के खिलाफ लेखकों का विरोध और तेज होता जा रहा है। सोमवार को 11 और साहित्यकारों ने देश में बढ़ रही असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी पर हो रहे हमले के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की। इनमें कश्मीरी लेखक गुलाम नबी खयाल, कन्नड़ साहित्यकार श्रीनाथ डीएन व जीएन रंगनाथ राव, हिंदी के कवि मंगलेश डबराल तथा राजेश जोशी, पंजाबी कथाकार वरयाम संधू और गुजराती कवि अनिल जोशी शामिल हैं।

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इनके अलावा पंजाबी भाषा के चार और साहित्यकारों-सुरजीत पातर, बलदेव सिंह सड़कनामा और दर्शन सिंह बत्तर ने भी अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी। इनको मिलाकर अब तक कम-से-कम 20 लेखक साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर चुके हैं। दिल्ली की थियेटर कलाकार माया कृष्ण राव ने भी इसी मुद्दे पर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार लौटा दिया। विवाद बढ़ता देख अकादमी ने 23 अक्टूबर को कार्यकारी समिति की बैठक बुलाने का फैसला किया है। कोंकणी भाषा के 30 लेखक बुधवार को पणजी में बैठक कर अकादमी पुरस्कार लौटाने के मुद्दे पर विचार-विमर्श करेंगे।

मंगलेश डबराल और राजेश जोशी ने अपने साझा बयान में कहा कि पिछले एक साल से लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों पर हमला किया जा रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अपनी इच्छा के अनुसार जीने की आजादी को निशाना बनाया जा रहा है। अनिल जोशी ने मुंबई में डॉ. सुधींद्र कुलकर्णी पर कालिख पोतने की घटना के बाद पुरस्कार लौटाने की घोषणा की।

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हालांकि, साहित्य अकादमी के एक अधिकारी ने बताया कि उदय प्रकाश, डॉ. गणेश देवी, अमन सेठी, वरयाम संधू और जीएन रंगनाथ राव के अलावा और किसी लेखक ने पुरस्कार लौटाने की जानकारी नहीं दी है।

इस बीच, अपने लेखन के लिए कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने वाले सलमान रुश्दी भी सांप्रदायिकता और असहिष्णुता के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लेखकों की जमात में शामिल हो गए हैं। रुश्दी ने ट्वीट कर कहा कि मैं नयनतारा सहगल और अन्य कई लेखकों का समर्थन करता हूं, जो साहित्य अकादमी की चुप्पी के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

पुरस्कार लौटाने को चेतन ने राजनीति बताया
देहरादून लेखकों द्वारा बड़े पैमाने पर साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाए जाने का साहित्यिक बिरादरी में विरोध शुरू हो गया है। अंग्रेजी के जाने-माने उपन्यासकार चेतन भगत को इसमें राजनीति नजर आने लगी है। लेखकों के कदम को उन्होंने अनावश्यक प्रतिक्रिया करार दिया है। इस बीच, केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने भी लेखकों के इरादों पर सवाल किया है। सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान भगत ने इस पर हैरानी जताई कि किस तरह योग्यता के आधार पर दिए जाने वाले पुरस्कार का राजनीतीकरण कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि ये लोग इस आधार पर पुरस्कार लौटा रहे हैं कि एक खास राजनीतिक दल के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। इससे पहले ट्विटर पर भी उन्होंने पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों पर निशाना साधा। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, 'किसी तरह के प्रतीकवाद पर मुझे संदेह होता है। यदि वास्तव में कोई मुद्दा हो तो आप उस पर लिख सकते हैं। लेकिन इसमें राजनीति का घालमेल मुझे हास्यास्पद लगता है।'

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