काले धन के आंकड़ों पर सरकार अब तक खाली हाथ
सरकार तीन साल बाद भी नहीं पता लगा पाई है कि देश और विदेश में कितना काला धन लगा हुआ है। इसकी मात्रा का अनुमान लगाने के लिए संप्रग सरकार ने कवायद शुरू की थी। यह और बात है कि अब तक इसको लेकर सरकार के हाथ खाली हैं। देश के अंदर और बाहर काले धन का पता लगाने के लिए 21 मार्च, 2011 से अध्ययन शुरू किया
नई दिल्ली। सरकार तीन साल बाद भी नहीं पता लगा पाई है कि देश और विदेश में कितना काला धन लगा हुआ है। इसकी मात्रा का अनुमान लगाने के लिए संप्रग सरकार ने कवायद शुरू की थी। यह और बात है कि अब तक इसको लेकर सरकार के हाथ खाली हैं।
देश के अंदर और बाहर काले धन का पता लगाने के लिए 21 मार्च, 2011 से अध्ययन शुरू किया गया था। इसकी कमान दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआइपीएफपी) एवं नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक्स रिसर्च (एनसीएईआर) तथा हरियाणा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआइएफएम) के हाथों में दी गई थी। अध्ययन को पूरा करने के लिए 18 महीने का समय था। यह अवधि 21 सितंबर, 2012 को पूरी हो गई। सूचना के अधिकार के अंतर्गत एक आवेदन के जवाब में वित्त मंत्रालय ने बताया कि इस पर अध्ययन पूरा किया जाना है।
संप्रग सरकार के समक्ष काला धन एक बड़ा मुद्दा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 मई को काले धन पर विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया है। काले धन की मात्रा पर कोई ठोस आंकड़ा नहीं है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार यह 500 अरब डॉलर (करीब तीन लाख करोड़ रुपये) से 1400 अरब डॉलर (करीब आठ लाख करोड़ रुपये) के बीच है। सरकार इसे आधिकारिक आंकड़ा नहीं मानती है।

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