NSG में असफलता के बावजूद MTCR का सदस्य बनने जा रहा भारत
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भले ही भारत को सफलता नहीं मिली हो लेकिन भारत अब एमटीसीआर का सदस्य बनने जा रहा है।
नई दिल्ली, एएनआई। भारत को भले ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य बनने के दावे पर सफलता नहीं मिली हो लेकिन भारत अगले हफ्ते मिसाइल टेक्नॉलोजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) का सदस्य बनने जा रहा है। एमटीसीआर उन चार महत्वपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकी निर्यात नियंत्रण करनेवाला संगठन है जिसका नई दिल्ली सदस्य बनने को काफी पहले से इच्छुक था।
उधर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि सोमवार को भारत पूर्णरूप से एमटीसीआर का सदस्य बन जाएगा। विकास स्वरूप ने बताया कि एनएसजी पर भारत को भले ही अभी असफलता हाथ लगी हो लेकिन उसका प्रयास जारी रहेगा। उन्होने कहा कि कुछ देशों ने एनएसजी में प्रवेश की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए थे लेकिन सिर्फ एक मात्र ऐसा देश था जो भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा था।
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पाकिस्तान की नहीं हो सकती भारत से तुलना
एनएसजी पर बोलते हुए विकास स्वरूप ने कहा कि मैं ये नहीं कह सकता हूं कि हम इसमें असफल रहे लेकिन जैसे हमने उम्मीद की थी वैसा परिणाम नहीं रहा। लेकिन, ये एक लगातार चलनेवाली प्रक्रिया है और हम इस पर लगातार सक्रिय रूप से काम करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं मानता हूं कि वैश्विक बिरादरी भारत और पाकिस्तान को परमाणु अप्रसार के मामले में एक ही नजर से देखता है। परमाणु अप्रसार को लेकर हमारी विश्वसनीयता जगजाहिर है और हमारा पुराना रिकॉर्ड भी इस बात को पुख्ता करता है। लेकिन, जहां तक अन्य देशों की बात है तो उनका ट्रैक रिकॉर्ड उनके बारे में बता रहा है।
2008 से ही एमटीसीआर के इच्छुक था भारत
साल 2008 में भारत-अमेरिका के बीच हुए परमाणु करार के बाद से ही भारत लगातार एमटीसीआर का सदस्य बनाने का प्रयास कर रहा है। नई दिल्ली परमाणु निर्यात को नियंत्रित करनेवाले उन चारों समूह- एमटीसीआर, एनएसजी, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और वास्सेनार एग्रीमेंट का हिस्सा बनने का इच्छु रहा है।
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लेकिन, जहां परमाणु जवाबदेही मुद्दे को लेकर परमाणु करार रूक गया तो वहीं नई दिल्ली को अप्रैल 2015 में एमटीसीआर सदस्य बनने पर फिर उम्मीद जगी जब परमाणु जवाबदेही मुद्दे को सुलझाया गया और अमेरिका ने भारत का पूरजोर समर्थन किया।
एमसीटीआर पर इटली ने जताई थी आपत्ति
सरकार ने पिछले साल जून और अक्टूबर में एमटीसीआर को लेकर अपनी दावेदारी सामने रखा था लेकिन 34 सदस्यीय इस संगठन मे उस वक्त इटली ने आपत्ति जताई थी क्योकि उस समय इटली के नौसैनिक मामले को लेकर भारत का विवाद चल रहा था। एमटीसीआर में भी ठीक एनएसजी की तरह ही सभी देशों की सहमति होना अनिवार्य होता है। लेकिन, जब भारत ने दोनों इटली के नौसैनिकों को अपने देश वापस जाने की इजाजत दे दी उसके बाद इटली भी राजी हो गया।