Afghan Embassy: भारत में अफगानी दूतावास 01 अक्टूबर से बंद, बताईं तीन बड़ी वजहें
अगस्त 2021 में काबुल में सत्ता पर तालिबाान का कब्जा होने के बाद से ही पूर्व सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले इस दूतावास के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे थ ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थित अफगानिस्तान के दूतावास ने रविवार से अपना काम-काज समेट लिया। शनिवार देर रात को दूतावास की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई कि 01 अक्टूबर, 2023 से नई दिल्ली में स्थिति रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का दूतावास काम नहीं करेगा। यह दूतावास वर्ष 2001 से काम कर रहा था।
दूतावास का काम काज
अगस्त, 2021 में काबुल में सत्ता पर तालिबाान का कब्जा होने के बाद से ही पूर्व सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले इस दूतावास के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे थे। अफगानिस्तान के पूर्व राजदूत फरीद मामुन्दजई व उनके कई राजनयिक सहयोगी पिछले कई महीनों से भारत से बाहर हैं। दूतावास का काम काज पिछले कई महीनों से एक तरह से ठप्प ही पड़ा हुआ था।
दूतावास की तरफ से दी गई जानकारी
उल्लेखनीय बात यह है कि दूतावास की तरफ से जो जानकारी दी गई है कि उसमें मेजबान देश की तरफ से समर्थन नहीं मिलने को भी दूतावास को बंद करने का एक प्रमुख कारण बताया गया है। दूतावास ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि, ''दूतावास ने यह अनुभव किया है कि मेजबान देश की तरफ उसे आवश्यक मदद नहीं मिल पा रही है जिसकी वजह से वह अपना काम सही तरीके से नहीं कर पा रहा है।''
क्या है दूसरा कारण ?
दूसरा कारण यह बताया गया है कि दूतावास अफगानिस्तान के हितों के मुताबिक काम नहीं कर पा रहा। यहां भी परोक्ष तौर पर भारत सरकार पर ही आरोप लगाया है कि नई दिल्ली में आवश्यक राजनयिक मदद नहीं मिलने के कारण ही अफगानिस्तान दूतावास अपने नागरिकों के हितों के मुताबिक काम नहीं कर पा रहा। तीसरा कारण बताया गया है कि आवश्यक राजनयिकों व कर्मचारियों की कमी और यहां भी भारत पर सहयोग नहीं देने की बात कही गई है।
दूतावास को अपना काम करने में आ रही है समस्या
राजनयिकों पर समय पर और पर्याप्त वीजा नहीं दिए जाने के कारण दूतावास को अपना काम करने में समस्या आ रही है।भारत का विदेश मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि वह हालात पर नजर रखे हुए है। भारत ने अभी तक तालिबान सत्ता को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है लेकिन धीरे धीरे कई स्तरों पर संपर्क साधा गया है। पिछले हफ्ते ही अफगानिस्तान में शांति व्यवस्था स्थापित करने को लेकर कई देशों की बैठक रूस में हुई थी जिसमें भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया था। इसमें तालिबान के प्रतिनिधि भी थे।
भारत ने एक तकनीकी स्तर की टीम भी की तैनात
असलियत में अगस्त, 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के कुछ ही महीनों बाद भारत ने उसके प्रतिनिधियों से संपर्क साधा था। अब काबुल स्थित अपने दूतावास में भारत ने एक तकनीकी स्तर की टीम भी तैनात की है। तालिबान को मानवीय आधार पर मदद भी दी जा रही है।बताया जाता है कि भारतीय दूतावास में अफगानिस्तान के जो अधिकारी हैं उनमें से कुछ सीधे तौर पर तालिबान के संपर्क में है।
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अफगानी दूतावास के वाणिज्य प्रतिनिधि कादिर साह ने अप्रैल, 2023 में विदेश मंत्रालय को यह पत्र भी लिखा था कि उसे तालिबान सरकार ने कार्यवाहक राजदूत नियुक्त किया है। बहरहाल, अब बहुत कुछ भारत के रवैये पर निर्भर होगा। अफगानी दूतावास की परिसंपत्तियां फिलहाल भारत को हस्तांतरित कर दी जाएंगी। उक्त प्रेस विज्ञप्ति में यह उम्मीद जताई गई है कि भारत सरकार दूतावास के भवन व दूसरी परिसंपत्तियों को अफगानिस्तान की वैध सरकार को हस्तांतरित करेगी।

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