देश का भविष्य गढ़ने का एक और 'प्रयास', शोध से जुड़ेंगे स्कूली बच्चे; 9-11वीं तक के छात्र ले सकेंगे हिस्सा
केंद्र सरकार ने प्रयास (प्रमोशन ऑफ रिसर्च एटिट्यूड इन यंग एंड एस्पायरिंग स्टूडेंट) नाम की एक अहम स्कीम शुरू की है जिससे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आम जनजीवन से जुड़ी गुत्थियों को विज्ञान की मदद से सुलझाते दिखेंगे । एनसीईआरटी का मानना है कि इससे देश के स्कूलों में शोध और अनुसंधान का एक नया माहौल तैयार होगा ।

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। अब वह दिन दूर नहीं जब स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आम जनजीवन से जुड़ी गुत्थियों को विज्ञान की मदद से सुलझाते दिखेंगे। स्कूलों में इस दिशा में माहौल बनाने की कोशिश शुरू कर दी गई है। केंद्र सरकार ने इसे लेकर 'प्रयास' (प्रमोशन ऑफ रिसर्च एटिट्यूड इन यंग एंड एस्पायरिंग स्टूडेंट) नाम की एक अहम स्कीम शुरू की है।
वित्तीय सहायता कराई जाएगी मुहैया
इसके तहत देश के किसी भी स्कूल में नौवीं से ग्यारहवीं कक्षा तक की कक्षा में पढ़ने वाला कोई भी छात्र अपनी सोच और अभिरुचि को वैज्ञानिक मानकों पर परख सकेगा। इसके लिए उन्हें न सिर्फ वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाएगी, बल्कि मदद के लिए योग्य शिक्षक भी उपलब्ध कराए जाएंगे। विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के साथ ही मिलकर यह पहल शुरू की है।
देश में तैयार हो रहा शोध और अनुसंधान का माहौल
एनसीईआरटी का मानना है कि इससे देश के स्कूलों में शोध और अनुसंधान का एक नया माहौल तैयार होगा। साथ ही छात्रों को भी इन क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने भी इसे लेकर सिफारिश की है। इसके अनुसार, छात्र का युवा मन जिज्ञासा और रचनात्मक कल्पनाओं से भरा हुआ होता है। ऐसे में यदि उसे अपने आसपास की समस्याओं को सुलझाने का अवसर मिले तो एक बेहतर सोच सामने रख सकता है।
छात्रों को स्कूल के माध्यम से देना होगा प्रस्ताव
'प्रयास' में हिस्सा लेने के लिए छात्रों को पहले अपने स्कूल के माध्यम से अपने शोध से जुड़े विषय का प्रस्ताव देना होगा। एक छात्र किसी भी दो विषय पर अपना प्रस्ताव दे सकता है। इन प्रस्तावों को वैज्ञानिक आधार पर चयनित किया जाएगा। जैसे ही किसी छात्र का प्रस्ताव चयनित हो जाएगा तो उसकी मदद के लिए स्कूल स्तर पर एक शिक्षक और आसपास के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षक को लगाया जाएगा, जिनकी देखरेख में वह काम करेगा।
प्रत्येक विषय में शोध व अनुसंधान की समयसीमा एक वर्ष की होगी। विशेष परिस्थितियों में इसे कुछ महीने के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। इस दौरान प्रत्येक चयनित विषय पर शोध के लिए 50 हजार रुपये की मदद भी मुहैया कराई जाएगी। इनमें 10 हजार रुपये छात्र को प्रोत्साहन के लिए दिए जाएंगे, जबकि 20 हजार रुपये स्कूल और 20 हजार रुपये उच्च शिक्षण संस्थान के गाइड करने वाले शिक्षक को दिए जाएंगे।
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इन क्षेत्रों में ही काम कर सकेंगे छात्र
'प्रयास' स्कीम के तहत स्कूली छात्र सिर्फ कुछ चिह्नित क्षेत्रों में ही शोध और अनुसंधान का काम कर सकेंगे। इसके लिए जो क्षेत्र चयनित किए गए हैं, उनमें किसी स्थानीय समस्या की पहचान करना और उनका अध्ययन करना, किसी स्थानीय समस्या के पीछे वैज्ञानिक कारणों की जांच करना, किसी समस्या का वैज्ञानिक समाधान खोजना व किसी भी विचार, कल्पना या अवधारणा जो वैज्ञानिक ज्ञान उत्पन्न करें उस पर शोध कार्य करना शामिल है।
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