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आखिरकार आडवाणी भी बोले 'नमो नमो'

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ बगावत का परचम फहरा रहे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अब सफेद झंडा दिखा दिया है। पार्टी और कार्यकर्ताओं के बीच गिरती अपनी राजनीतिक स्थिति को भांपते हुए आडवाणी ने छत्तीसगढ़ से मोदी और मोदीराज की प्रशंसा करते हुए एक तरह से समर्पण कर दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जो सुशासन भाजपा शासित राज्यों में है वह पूरे देश में फैलेगा।

By Edited By: Published: Mon, 16 Sep 2013 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2013 10:59 AM (IST)
आखिरकार आडवाणी भी बोले 'नमो नमो'

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ बगावत का परचम फहरा रहे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अब सफेद झंडा दिखा दिया है। पार्टी और कार्यकर्ताओं के बीच गिरती अपनी राजनीतिक स्थिति को भांपते हुए आडवाणी ने छत्तीसगढ़ से मोदी और मोदीराज की प्रशंसा करते हुए एक तरह से समर्पण कर दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जो सुशासन भाजपा शासित राज्यों में है वह पूरे देश में फैलेगा।

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तीन दिन पहले तक मोदी के विरोध में हर कदम उठा चुके आडवाणी सोमवार को समर्थन में खड़े हो गए। छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक बिजली संयंत्र का उदघाटन करते हुए उन्होंने कहा, 'गुजरात अकेला राज्य है, जहां सभी गांवों को 24 घंटे बिजली मिल रही है। इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है।' इस तरह उन्होंने यह भी मान लिया कि मोदी के केंद्रीय भूमिका में आने के बाद भी चुनावी लड़ाई विकास पर ही केंद्रित होगी। पहले उनकी ओर से यह संकेत देने की कोशिश होती रही थी कि मोदी के आने पर विकास का मुद्दा गौण हो जाएगा। जून में मोदी को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के वक्त से उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने तक आडवाणी विरोध में ही डटे थे। पहली बार उन्होंने कुछ समितियों से इस्तीफा देकर अपना विरोध जताया था, तो दूसरी बार बैठक से गायब रहकर और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखकर नाराजगी जताई थी।

पहले भी पार्टी नेताओं ने उन्हें यह समझाकर मनाने की कोशिश की थी कि जनमत को देखकर ही मोदी के हाथ कमान दी जा रही है। संघ में भी शीर्ष स्तर से आडवाणी को पार्टी लाइन के साथ चलने की सलाह दी गई थी, लेकिन वह जिद पर अड़े थे। इस बीच उन नेताओं ने भी आडवाणी को अकेला छोड़ दिया, जिनके सहारे वह आगे की लड़ाई लड़ने का मन बना रहे थे। सोमवार तक उन्हें यह अहसास हो गया कि पार्टी के फैसले के खिलाफ वह उस छोर तक जा चुके हैं जिसके बाद रास्ता बंद है। लिहाजा, देर से ही सही आडवाणी खुद को पार्टी लाइन में खड़ा करने में जुट गए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही रैलियों में जनता मोदी को ही सुनना चाह रही है। कुछ जगह दूसरे नेताओं को रोककर मोदी के नारे लग रहे हैं। 25 सितंबर को भोपाल में आडवाणी भी मोदी के साथ मंच पर हो सकते हैं।

'मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया गया है तो उम्मीद है कि भाजपा शासित राज्यों में विकास का जो काम हो रहा है, अब पूरे देश में उसका असर दिखेगा।' -लालकृष्ण आडवाणी, वरिष्ठ भाजपा नेता

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