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    भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन, आडवाणी-जोशी संसदीय बोर्ड से भी बाहर

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    Updated: Wed, 27 Aug 2014 07:34 AM (IST)

    भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन का एक चरण पूरा हो गया। अपनी टीम की औसत आयु घटाकर 50 के आसपास करने वाले भाजपा के युवा अध्यक्ष अमित शाह ने मोदी सरकार की तर्ज पर पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक संस्था संसदीय बोर्ड से भी 75 की आयु पार कर चुके लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बाहर कर दिया।

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन का एक चरण पूरा हो गया। अपनी टीम की औसत आयु घटाकर 50 के आसपास करने वाले भाजपा के युवा अध्यक्ष अमित शाह ने मोदी सरकार की तर्ज पर पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक संस्था संसदीय बोर्ड से भी 75 की आयु पार कर चुके लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बाहर कर दिया। सिर्फ औपचारिकता के लिए सदस्यों में शामिल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भी हटा दिया गया है।

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    उनकी जगह मध्यप्रदेश के युवा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महासचिव जेपी नड्डा को बोर्ड में शामिल कर जहां इसे नया चेहरा दिया गया। वहीं आडवाणी और जोशी को मार्गदर्शक मंडल में स्थान देकर बस उनका सम्मान बरकरार रखने का संदेश दिया गया है। मार्गदर्शक मंडल में दोनो नेताओं के साथ साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा भाजपा की मौजूदा पीढ़ी के सिर्फ दो चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ही हैं।

    मोदी सरकार की तर्ज पर ही भाजपा का संगठन भी सुर ताल मिलाकर काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट में 75 पार कर चुके किसी नेता को शामिल नहीं किया है। मंगलवार को शाह ने भी यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी में पीढ़ी का परिवर्तन पूरा हो गया है। पुराने व वरिष्ठ नेताओं का सम्मान तो होगा, लेकिन फैसलों में वहीं शामिल होंगे, जिनके उपर प्रदर्शन की जिम्मेदारी होगी।

    डेढ़-दो महीने पूर्व अमित शाह के कमान संभालते ही 'दैनिक जागरण' ने इसकी जानकारी दी थी कि आडवाणी और जोशी सरीखे पुराने नेता मार्गदर्शक की भूमिका में रहेंगे। शाह ने हर मोर्चे पर समीकरण दुरुस्त करते हुए यह भी सुनिश्चित कर लिया कि नए स्वरूप पर कोई उंगली न उठे। शिवराज को संसदीय बोर्ड में लाने का फैसला कुछ इसी का संकेत है।

    ध्यान रहे कि बोर्ड में मुख्यमंत्रियों को शामिल करने की परंपरा नहीं रही है। आरएसएस भी इसके खिलाफ रहा है। फिर भी शाह ने चौहान को शामिल कर यह संकेत दे दिया है कि वह परंपरा से हटकर भी पार्टी के हित में फैसले लेंगे। गौरतलब है कि चौहान को बोर्ड में लाने की बात आडवाणी करते रहे थे।

    कभी आडवाणी के करीबी माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार को शाह ने बोर्ड में बरकरार रखा है। सुषमा स्वराज का स्थान भी बरकरार है। कभी पार्टी अध्यक्ष की रेस मे शामिल हुए नड्डा को भी बोर्ड में जगह देकर शाह ने उन्हें निष्ठा का पुरस्कार दे दिया। शाह की अध्यक्षता में बनी इस 12 सदस्यीय बोर्ड में प्रधानमंत्री मोदी समेत आठ ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें न सिर्फ लंबा अनुभव रहा है, बल्कि अधिकतर मोदी सरकार के कोर ग्रुप के सदस्य माने जाते हैं। शिवराज के रूप में एक मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। जाहिर है कि सरकार और संगठन में तालमेल और बढ़ेगा।

    संसदीय बोर्ड के साथ गठित चुनाव समिति में बदलाव हुआ। आडवाणी और जोशी के साथ-साथ विनय कटियार भी बाहर हो गए हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता ही बने रह गए शाहनवाज हुसैन को चुनाव समिति में बरकरार रखा गया है, जबकि ओडिशा के आदिवासी नेता जुएल ओरांव व महिला मोर्चा की नई अध्यक्ष विजया रहाटकर अब उम्मीदवारों पर फैसला करेंगी।

    ये हैं भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य:

    अमित शाह, नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, एम वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, अनंत कुमार, थावरचंद गहलोत, शिवराज सिंह चौहान, जेपी नड्डा, रामलाल

    मार्गदर्शक मंडल :

    अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और राजनाथ सिंह

    केंद्रीय चुनाव समिति:

    संसदीय बोर्ड के 12 सदस्यों के साथ शाहनवाज हुसैन, जुएल ओरांव और विजया रहाटकर

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