आकस्मिक मौत के आंकड़े में गिरावट: NCRB रिपोर्ट
चाहे प्राकृतिक हो या अप्राकृतिक दोनों ही कारणों से होने वाली मौतों के आंकड़े में 2014 की तुलना में 2015 में गिरावट दर्ज की गयी है।
भोपाल (जेएनएन)। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो द्वारा जारी किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार,वर्ष 2014 की तुलना में भारत में होने वाली आकस्मिक मौत के आंकड़े में 8.5 फीसद की गिरावट हुई है। हालांकि आत्महत्या के मामले में 1.5 फीसद की मामूली बढ़त देखी गयी।
2014 में दुर्घटनावश होने वाली मौत की दर 36 फीसद थी जो 2015 में घटकर 32 फीसद हो गयी। 2015 में कुल 4,96,762 ट्रैफिक दुर्घटनाएं हुईं। इन दुर्घटनाओं में 94 फीसद सड़क दुर्घटनाएं हुई जिसमें से 84 फीसद में मौत की घटनाएं दर्ज की गयी। ट्रैफिक दुर्घटनाओं के अधिकतम मामले मई माह में शाम 3 बजे से 6 बजे के बीच दर्ज किए गए।
सड़क दुर्घटनाओं में तमिलनाडु अव्वल है जिसके बाद कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ें लगभग एक बराबर हैं। अधिकांश दुर्घटनाएं आवासीय क्षेत्रों में हुई। सड़क दुर्घटनाओं के शिकार होने वालों में अधिकांश दो-पहिए सवार हैं।
2014 से आत्महत्या की दर 10.8 ही बनी हुई है, हालांकि मामलों की संख्या में इजाफा हुआ है जो 2014 में 1,31,666 थी बढकर 2015 में 1,33,623 हो गयी। अधिकांश आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र में देखे गए जिसके बाद तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल है। पिछले साल भी ये राज्य टॉप पोजिशन पर थे। प्रत्येक 6 में से एक आत्महत्या का मामला हाउस वाइफ का होता है। देश में होने वाली आत्महत्या के कुल आंकड़ों में से 50 फीसद पारिवारिक समस्या और बीमारी के कारण है।
2005-2015 के दशक में दुर्घटनावश होने वाली मौत के आंकड़े 2014 तक बढ़ते रहे हैं जबकि 2015 के आंकड़े कमी को दर्शा रहे हैं। दूसरी ओर आत्महत्या के मामलों में 2011 तक बढ़त का ट्रेंड देखा गया और फिर 2014 में आंकड़े में कमी आयी लेकिन 2015 में फिर से मामूली बढ़त दिख रही है।
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