आरुषि मर्डर केस: तलवार दम्पत्ति की याचिका पर निर्णय सुरक्षित
आरुषि-हेमराज हत्याकांड के आरोपी तलवार दंपति की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। याचिका में सीबीआइ कोर्ट गाजियाबाद द्वारा 14 गवाहों को परीक्षण के लिए बुलाए जाने की तलवार दम्पत्ति की मांग खारिज करने को चुनौती दी गई है।
इलाहाबाद [जागरण ब्यूरो]। आरुषि-हेमराज हत्याकांड के आरोपी तलवार दंपति की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। याचिका में सीबीआइ कोर्ट गाजियाबाद द्वारा 14 गवाहों को परीक्षण के लिए बुलाए जाने की तलवार दम्पत्ति की मांग खारिज करने को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति आरडी खरे ने राजेश तलवार व नूपुर तलवार की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। याची का कहना है कि यदि इन गवाहों को नहीं बुलाया गया तो सच सामने नहीं आ सकेगा। धारा 311 के अंतर्गत दाखिल अर्जी में याचियों ने पुलिस अन्वेषण टीम के सात सदस्यों, डॉक्टरों व नौकरानी के परीक्षण की मांग की थी जिसे सीबीआइ कोर्ट ने निरस्त कर दिया जबकि इन गवाहों के बयान केस के लिए जरूरी है। सीबीआइ अधिवक्ता अनुराग खन्ना का कहना था कि धारा 231 के अंतर्गत यह अभियोजन पक्ष पर है कि वह कौन सा साक्ष्य पेश करे। सीबीआइ ने जरूरी गवाह पेश किए जिनकी प्रतिपरीक्षा भी की जा चुकी है।
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अब आरोपियों के पक्ष के गवाह पेश होने हैं। कोर्ट सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए कार्यवाही कर रही है। यह कोर्ट पर है कि वह बाद में उचित समझे तो गवाहों को बुलाए। अभी ऐसा समय नहीं है जबकि याची की मांग को स्वीकार किया जाए। यह कोर्ट पर है कि जरूरी होने पर गवाह तलब करे। आरोपी को अभियोजन की तरफ से अतिरिक्त गवाहों को पेश करने की मांग का हक नहीं है।
याची का कहना था कि गवाहों के बयान विरोधाभासी हैं और जिनके बयान धारा 161 में दर्ज किए गए हैं, उनका परीक्षण किया जाना चाहिए। कोर्ट ने दोनों पक्षों और शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह की बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है।
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