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    आरुषि-हेमराज हत्याकांड: क्लोजर रिपोर्ट के बाद बदली जांच की दिशा

    By Edited By:
    Updated: Mon, 25 Nov 2013 08:24 AM (IST)

    आरुषि-हेमराज हत्याकांड में 12 नवंबर को अंतिम बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसले के लिए 25 नवंबर की तारीख लगाई थी। दरअसल, सीबीआइ ने पहले मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। लेकिन तलवार दंपती की आपत्ति के बाद अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और नए सिरे से सुनवाई की।

    गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। आरुषि-हेमराज हत्याकांड में 12 नवंबर को अंतिम बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसले के लिए 25 नवंबर की तारीख लगाई थी। दरअसल, सीबीआइ ने पहले मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। लेकिन तलवार दंपती की आपत्ति के बाद अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और नए सिरे से सुनवाई की।

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    मामले की सुनवाई सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एस लाल की अदालत में चली। मुकदमे के दौरान सीबीआइ ने 39 लोगों की गवाही कराई, जबकि बचाव पक्ष ने कुल सात लोगों की गवाही कराई। अदालत में आरुषि के पिता डा. राजेश तलवार व मां डा. नूपुर तलवार पर आइपीसी की धारा 302/34 (समान उद्देश्य से हत्या करना)/201(साक्ष्यों को छिपाने)तथा डा.राजेश तलवार पर (203) फर्जी रिपार्ट दर्ज कराने की धाराओं के तहत मुकदमा चला।

    पढ़ें: तलवार दंपति को सुप्रीम कोर्ट से झटका

    जांच में कदम-कदम पर चूक नोएडा: आरुषि-हेमराज हत्याकांड में नोएडा पुलिस ने साक्ष्य जुटाने में कदम-कदम पर चूक की तो सीबीआइ साक्ष्यों के आधार पर हत्यारों को खोज नहीं पाई। फॉरेंसिक, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को भी नष्ट होने दिया।

    अब तक न तो मोबाइल से कोई डिटेल मिली और न ही मौके पर पुलिस ने साक्ष्यों को बेहतर तरीके से जुटाया। नोएडा पुलिस ने इस मामले में जहां डॉ. राजेश तलवार पर ध्यान केंद्रित किया तो सीबीआइ ने नौकरों पर। आरुषि का शव मिलने के बाद भी दो दिनों तक हेमराज का शव छत पर पड़ा रहा, लेकिन पुलिस की नजर नहीं पड़ी। यहां से चूक की शुरुआत हुई। नोएडा पुलिस के साक्ष्यों से इतर सीबीआइ ने जब जांच शुरू की तो असफलता हाथ लगी। इसके बाद सीबीआइ की पूरी टीम ही बदल दी गई।

    पांच चूक-जांच में पुलिस ने महज खानापूर्ति की। कमरे में आने-जाने पर कोई रोक नहीं लगाई गई, जिससे अहम साक्ष्य मिट गए।

    -पुलिस ने नमूने लेने में लापरवाही बरती। खून, बेडशीट व गद्दे के नमूने से छेड़छाड़ की गई।

    -हत्या के बाद पुलिस छत पर नहीं गई। आरुषि का हत्यारा समझ कर हेमराज की खोज शुरू कर दी गई, जबकि हेमराज का शव छत पर पड़ा था।

    -घटना के बाद फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट दो घंटे के बाद मौके पर पहुंचे, उस समय तक कई साक्ष्य मिट चुके थे।

    -हत्या के पहले दिन पुलिस ने लैपटॉप व कंप्यूटर जब्त नहीं किया। सामान जब्त किए जाने तक डाटा से छेड़छाड़ की गई।

    तलवार दंपती पर शक की वजहघर में मर्डर, दंपती को पता नहीं: कत्ल की रात फ्लैट नंबर एल-32 में आरुषि, उसकी मां नूपुर तलवार, पिता राजेश तलवार और उनका नौकर हेमराज था। चार लोगों में से दो का कत्ल हो गया, लेकिन दो लोगों को पता नहीं।

    पहले पुलिस को कॉल क्यों नहीं किया गया:

    मर्डर के बाद डॉ. तलवार दंपती ने पहले पुलिस को फोन नहीं किया, बल्कि दोस्तों को फोन कर बताया।

    सुबूत मिटाने की कोशिश:

    हत्या के बाद प्रथम दृष्टया यह बात सामने आई कि सुबूत मिटाने की कोशिश की गई। लैपटॉप व कंप्यूटर से डाटा डिलीट किया गया।

    आरुषि का दरवाजा कैसे खुला: आरुषि के सोने के बाद उसके कमरे की चाबी तलवार दंपती के पास होती थी, तो सवाल उठता है कि कमरे को किसने खोला?

    गोल्फ स्टिक का इस्तेमाल: हेमराज के सिर पर गोल्फ स्टिक (क्लब) से वार किया गया था और तलवार गोल्फ खेलते हैं। तलवार दंपती ने पुलिस से गोल्फ की बात छिपाई।

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