मिलकर चुनाव लड़ेंगे 'केजरीवाल-मांझी', नीतीश को भी न्योता
एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लडऩे का फैसला लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में हुई गुपचुप बैठक में
नई दिल्ली। एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लडऩे का फैसला लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में हुई गुपचुप बैठक में तय हुआ कि 'हम-आप' पार्टी के नाम से दोनों दल साझा लड़ाई में उतरेंगे। साथ ही जीतन ने अपने धुर विरोधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत जद-यू के बड़े नेता शरद यादव को भी पार्टी में शामिल होने का न्योता भेजा है।
क्यों हुआ 'हम-आप' का गठबंधन?
दरअसल, आप [आम आदमी पार्टी] दिल्ली में संघर्ष कर रही है। उधर, जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री की कुर्सी दोबारा हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं। हाल ही में एक बड़ी चुनाव सर्वे एजेंसी ने बिहार में सर्वे कर आगामी चुनावों पर जनता की नब्ज टटोली। नतीजों में जदयू के मुकाबले भाजपा का जनाधार 40 फीसद बढ़ा दर्शाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट की कॉपी के साथ जीतन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के 'हम-आप' गठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव भेजा गया है। सूत्रों की मानें तो नीतीश अब जदयू (जनता दल-युनाइटेड) प्रमुख शरद यादव को दांव देते हुए जीतन-अरविंद की साझा पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं।
माना जा रहा है कि वो अगर पार्टी ज्वाइन कर लेते हैं तो उन्हें पार्टी में बतौर संरक्षक की जगह मिल सकती है। हालांकि, इस अहम घटनाक्रम पर नीतीश, अरविंद और जीतन राम मांझी तीनों ने ही चुप्पी साध रखी है।
क्या हैं इस गठजोड़ के मायने?
बिहार में जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सत्ता के गलियारों में सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। पहले ये माना जा रहा था कि इन चुनावों में सीधी टक्कर नीतीश की जदयू और लालू की रालोद के महागठबंधन और भाजपा के बीच है। इन सबके बीच आम आदमी पार्टी इस सूबे में अपनी जमीन तलाशने के लिए किसी कद्दावर नेता की खोज में लगी हुई थी।
ऐसे में जीतन राम मांझी प्रकरण के बाद वो ही उन्हें सबसे मुफीद लगे। और तो और, जीतन राम मांझी को भी इसी प्रकार के किसी 'राजनीतिक सहारे' की जरूरत थी। ऐसे में दोनों एक-दूसरे के पूरक बन सकते हैं। वहीं, शरद यादव जोड़-तोड़ की राजनीति के अगुआ माने जाते हैं। ऐसे में अगर हम आप को शरद का साथ मिल जाता है तो राज्य में चुनावी समीकरण पलट भी सकते हैं। माना जा रहा है कि शरद यादव काफी दिनों से नीतीश से नाखुश चल रहे हैं, ऐसे में उनके पास भी सत्तासीन मुख्यमंत्री को दांव देने का बढिय़ा विकल्प खुद चलकर आ गया है।
[अप्रैल फूल विशेष]
[साभार: आइ नेक्स्ट]