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योगेंद्र, प्रशांत समेत चार 'आप' से बाहर, शांति भी इच्छुक

आम आदमी पार्टी (आप) ने बागी नेताओं पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। बाहर किए गए नेताओं में संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर आनंद कुमार और अजित झा शामिल हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 21 Apr 2015 12:32 AM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 10:20 AM (IST)
योगेंद्र, प्रशांत समेत चार 'आप' से बाहर, शांति भी इच्छुक

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। आम आदमी पार्टी (आप) ने बागी नेताओं पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। बाहर किए गए नेताओं में संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर आनंद कुमार और अजित झा शामिल हैं। इस बीच आप के वरिष्ठ नेता शांति भूषण का भी बयान आया है कि उन्हें भी पार्टी क्यों नहीं निकाल देती है। उन्होंने कहा कि दूसरी पार्टियों और आप में कोई अंतर नहीं है।

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सोमवार को देर रात पार्टी की अनुशासन समिति ने इन नेताओं को निष्कासित किए जाने की आधिकारिक घोषणा की। इससे पहले वीपी हाउस में अनुशासन समिति की छह घंटे से अधिक समय तक बैठक चली। इसमें पार्टी द्वारा इन नेताओं को दिए गए नोटिस के उपलब्ध कराए गए जवाब पर विस्तार से चर्चा की गई। इसमें पाया गया कि ये नेता पार्टी विरोधी गतिविधियों के दोषी हैं।

ज्ञात हो कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगने के बाद पिछले दो मार्च से पार्टी में विवाद गहराया हुआ था। आप नेता दिलीप पांडेय ने प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव के खिलाफ पार्टी नेतृत्व को एक पत्र लिखा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को हराने की भरपूर कोशिश की थी।

इसके बाद चार मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी इन चारों नेताओं के खिलाफ इस तरह के आरोप लगे थे। उसके बाद से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की तरफ से भी पार्टी को लेकर कुछ बयान दिए गए थे, जिनमें पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी सवाल उठाए गए थे।

इसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद बढ़ता गया। इस विवाद ने उस समय और तूल पकड़ लिया जब प्रशांत भूषण के गुट ने 14 अप्रैल को स्वराज संवाद को लेकर बैठक बुलाने की घोषणा कर दी। माना जा रहा था कि पार्टी इन नेताओं को इस बैठक से पहले ही बाहर का रास्ता दिखा देगी, लेकिन बाद में पार्टी ने रणनीति बदली और 14 अप्रैल को स्वराज संवाद के आयोजन के बाद इस मामले में फैसला लेने की बात हुई।

गत 17 अप्रैल को पार्टी की अनुशासन समिति ने चारों बागी नेताओं को कारण बताओ नोटिस भेजा था, जिसमें उनसे पूछा गया था कि बगैर पार्टी की अनुमति के बैठक का आयोजन किस आधार पर किया गया और उस बैठक में नई पार्टी बनाने के लिए कार्यकर्ताओं से क्यों राय मांगी गई।

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