UP Election 2017: 403 सीटों के लिए 859 आपराधिक रिकार्ड वाले नेता महासमर में
गंभीर प्रवृत्ति के आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं में भी बसपा सबसे ऊपर है। बहुजन समाज पार्टी में कुल 123 यानि 31 फीसद उम्मीदवार गंभीर प्रवृत्ति के अपराधों में शामिल रहे हैं।
By Digpal SinghEdited By: Published: Wed, 08 Mar 2017 08:21 AM (IST)Updated: Wed, 08 Mar 2017 10:15 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है। सातवें और अंतिम चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश के सात जिलों में मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस दौर में कुल 40 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है और 535 प्रत्याशी मैदान में हैं। पिछले लगभग एक महीने से चल रहे चुनावों पर एक नजर दौड़ाएं तो इस बार भी आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं का बोलबाला साफ दिखाई देता है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने पूरे विधानसभा चुनाव का विश्लेषण किया है। इस बार विधानसभा चुनाव के लिए कुल 4853 प्रत्याशी मैदान में रहे, जिनमें से 4823 उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों का आकलन किया गया है। नामांकन पत्रों के आकलन के आधार पर एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि विधानसभा चुनाव 2017 में कुल 859 यानि 18 फीसद उम्मीदवारों के किसी न किसी तरह के आपराधिक रिकार्ड हैं। यह आंकड़ा कुल सीट- 403 के दोगुने से भी ज्यादा है।
सुचिता की बात करने वाली तमाम राजनीतिक पार्टियों ने आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट देने में कोई कोताही नहीं बरती। इस लिस्ट में सबसे ऊपर मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी का नाम आता है। बसपा ने 400 में से कुल 150 आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट दिया। बता दें कि बसपा वही पार्टी है, जो एक समय 'चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर' जैसा नारा भी दे चुकी है, लेकिन इस बार पार्टी ने 38 फीसद टिकट बाहुबलियों या आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को दिये हैं।
उत्तर प्रदेश में सत्ता हथियाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और पूर्ववर्ती बसपा पर भाजपा हमेशा गुंड़ों को प्रश्रय देने का आरोप लगाती रही है। लेकिन जब विधानसभा चुनाव 2017 में टिकट देने की बात आयी तो पार्टी ने अपने कुल 383 उम्मीदवारों में से 137 यानि 36 फीसद आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट थमा दिया।
सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर हमेशा ही गुंडों को प्रश्रय देने का आरोप लगता रहा है और पार्टी ऐसे आरोपों को समय-समय पर नकारते भी रही है। एक नजर विधानसभा चुनाव 2017 में पार्टी द्वारा किन नेताओं को टिकट दिया गया है, इस तरफ दौड़ाएंगे तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। पार्टी ने 307 उम्मीदवारों में 113 यानि 37 फीसद आपराधिक छवि के नेताओं को टिकट दिया, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 114 में से 36 यानि 32 फीसद आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोक दल ने भी अपने 276 में से 56 उम्मीदवार ऐसे उतारे हैं जो आपराधिक रिकार्ड रखते हैं। यह उसके कुल उम्मीदवारों का 20 फीसद है। यही नहीं कुल 1453 निर्दलीय उम्मीदवारों में से भी 150 यानि 10 फीसद आपराधिक रिकार्ड रखते हैं और यह उन्होंने चुनाव आयोग में दर्ज कराए अपने नामांकन पत्र में स्वीकार किया है।
आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं में भी कई ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, दंगा, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे कई गंभीर प्रवृत्ति अपराध दर्ज हैं। 704 (15) उम्मीदवार इस विधानसभा चुनाव में ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर आपराधिक रिकार्ड दर्ज हैं।
गंभीर प्रवृत्ति के आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं में भी बसपा सबसे ऊपर है। बहुजन समाज पार्टी में कुल 123 यानि 31 फीसद उम्मीदवार गंभीर प्रवृत्ति के अपराधों में शामिल रहे हैं। भाजपा ने 100 यानि 26 फीसद, सपा ने 88 यानि 29 फीसद, रालोद ने 48 यानि 17 फीसद, कांग्रेस ने 25 यानि 22 फीसद गंभीर आपराधिक रिकार्ड वाले नेताओं को टिकट दिया है। इसी तरह से चुनाव लड़ रहे 134 यानि 9 फीसद निर्दलीय भी ऐसे हैं जो गंभीर प्रवृत्ति के अपराधों में शामिल रहे हैं।
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