सात साल के बच्चे के मुंह से निकले 80 दांत
आमतौर पर इंसान की बत्तीसी सुनने को मिलती है, लेकिन एमवाय अस्पताल में एक बच्चे के मुंह से 80 दांत निकले। सालभर से सात वर्षीय बच्चे को जबड़े में दर्द था। शुक्रवार को चार घंटे चले ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने दर्द से छुटकारा दिलाया।
इंदौर। आमतौर पर इंसान की बत्तीसी सुनने को मिलती है, लेकिन एमवाय अस्पताल में एक बच्चे के मुंह से 80 दांत निकले। सालभर से सात वर्षीय बच्चे को जबड़े में दर्द था। शुक्रवार को चार घंटे चले ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने दर्द से छुटकारा दिलाया।
मुरैना निवासी सात वर्षीय विवेक को जबड़े के बाईं ओर नवंबर 2013 से दर्द होना शुरू हुआ। धीरे-धीरे जबड़े का वह हिस्सा उभरने लगा। स्थानीय डॉक्टरों से जांच करवाने के बाद गठान के बारे में पता चला। मेडिकल साइंस में इस गठान को ओडोन्टोमा कहा जाता है। बीते सप्ताह विवेक पिता दलबीर के साथ शासकीय डेंटल कॉलेज में इलाज करवाने के लिए पहुंचा। डॉ. अंकित खासगीवाल ने बच्चे के टेस्ट करवाए।
गठान की पुष्टि होने के बाद डॉ. भरत माहेश्वरी और डॉ. अंकित ने ऑपरेशन की तैयारी की। शुक्रवार को विवेक का ऑपरेशन एमवाय अस्पताल में किया गया। चार घंटे चले ऑपरेशन में डॉक्टरों के सामने बड़ी चुनौती थी कि गठान निकालने के दौरान जबड़े की हड्डी को टूटने से बचाना। डॉ. महेश्वरी ने बताया कि गठान और जबड़ा काफी नजदीक था। जबड़े के ऊपरी हिस्से में गठान थी। जहां से निकालने में हड्डी टूटने का काफी डर था।
अनदेखी करते तो निकलते 200 दांत
डॉ. अंकित ने बताया कि ओडोन्टोमा गठान का आकार काफी तेजी से बढ़ता है। अगर तीन साल बाद गठान निकाली जाती तो करीब 200 दांत निकलते।
कैल्शियम की सेल से बनते हैं दांत
दांत बनाने वाले कैल्शियम की सेल तेजी से बढ़ने के कारण दांतों की संख्या अधिक होने लगती है, जो एक थैली या गठान का आकार ले लेती है। शोध में यह सामने आया है कि औसतन यह गठान 14 साल के बच्चों में पाई जाती है।
छह महीने में दो मामले और आए
- जुलाई 2014 में 17 वर्षीय लड़के का ऑपरेशन मुंबई के जेजे हॉस्पिटल में किया गया। ऑपरेशन के बाद बच्चे के मुंह से 232 दांत निकाले गए। उसके जबड़े के निचले हिस्से में गठान थी।
- नवंबर 2014 में सात वर्षीय बच्ची का ऑपरेशन गुड़गांव के अस्पताल में किया गया। उसके मुंह से 202 दांत निकले।
1 लाख में से 1 व्यक्ति प्रभावित
कैल्शियम की सेल से ओडोन्टोमा जैसी गठान बनती है, जो एक लाख लोगों में से एक व्यक्ति को होती है। कुपोषण और गर्मी के दौरान रेडिएशन से ये सेल विकसित होते हैं। डेंटल कॉलेज में रहते वक्त मेरे सामने ऐसा एक मामला आया था। -बीएम श्रीवास्तव, पूर्व डीन, शासकीय डेंटल कॉलेज
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