गोवा में 46 साल पुराने जनमत संग्रह पर विवाद
पणजी। गोवा के पुर्तगाली शासन से मुक्त होने के 51 साल बाद उसके अलग राज्य बनाने के फैसले पर सवाल उठाए गए है। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री शशिकला काकोदकर ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि 46 साल पहले गोवा को अलग राज्य बनाया जाए या महाराष्ट्र के साथ विलय कर दिया जाए इस संबंध में कराए गए जनमत संग्रह में हेराफेरी की गई थी।
पणजी। गोवा के पुर्तगाली शासन से मुक्त होने के 51 साल बाद उसके अलग राज्य बनाने के फैसले पर सवाल उठाए गए है। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री शशिकला काकोदकर ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि 46 साल पहले गोवा को अलग राज्य बनाया जाए या महाराष्ट्र के साथ विलय कर दिया जाए इस संबंध में कराए गए जनमत संग्रह में हेराफेरी की गई थी।
गोवा के पहले मुख्यमंत्री दयानंद बंदोदकर की बेटी शशिकला ने बुधवार को दावा किया था कि 16 जनवरी, 1967 को केंद्र द्वारा कराए गए जनमत संग्रह में धांधली की गई थी। दयानंद ने उस समय महाराष्ट्र के साथ विलय का समर्थन किया था। उन्होंने जनमत संग्रह को एक तमाशा बताया था और कहा था कि इसमें धोखाधड़ी की गई थी। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फालेरियो ने भी सार्वजनिक मंच पर स्वीकार किया था कि उस समय 15 साल का होने के बावजूद उन्होंने जनमत संग्रह में मतदान किया था। जनमत संग्रह के बारे में यह विवाद बुधवार को विधायक समारोह के दौरान शुरू हुआ। यह समारोह राज्य सरकार की ओर से गोवा के पहले विधानसभा सत्र के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर शशिकला ने यह आरोप भी लगाया कि विलय का विरोधी खेमा जनमत संग्रह में मतदान के लिए बाहर से लोगों को लाया था।
यह मुद्दा समारोह के दौरान उस समय उभर आया था जब विलय विरोधी नेता और पूर्व विधायक राधाराव ग्रेसियास ने समारोह के दौरान दयानंद की आलोचना की। ग्रेसियास ने गोवा की सुरक्षा के लिए तत्कालीन विपक्षी नेता जैक डे सीक्वेरिया की सराहना की। उन्होंने कहा,'आज अगर हम विधानसभा की अर्द्धशती का जश्न मना रहे हैं तो यह जैक के नेतृत्व का परिणाम है। दयानंद गोवा का महाराष्ट्र के साथ विलय करके इसे बर्बाद करने वाले थे।' गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर इस समारोह में मौजूद थे, लेकिन उन्होंने इस बहस पर कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।
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