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    दतिया के मंदिर में भगदड़, 109 की मौत

    By Edited By:
    Updated: Mon, 14 Oct 2013 05:53 AM (IST)

    मध्य प्रदेश के दतिया जिले में नवमी के अवसर पर रतनगढ़ माता मंदिर से एक किमी पहले पुल टूटने की अफवाह फैलने से मची भगदड़ में नवासी श्रद्घालुओं की मौत हो गई। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। कई लोग जान बचाने के लिए सिंध नदी में कूद गए। उनके बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। हादसे में करीब दो सौ लोग घायल हो गए। मरने वालों की संख्या 10

    दतिया [नई दुनिया] मध्य प्रदेश के दतिया जिले में नवमी के अवसर पर रतनगढ़ माता मंदिर से एक किमी पहले पुल टूटने की अफवाह फैलने से मची भगदड़ में नवासी श्रद्घालुओं की मौत हो गई। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। कई लोग जान बचाने के लिए सिंध नदी में कूद गए। उनके बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। हादसे में करीब दो सौ लोग घायल हो गए। मरने वालों की संख्या 109 से ज्यादा होने की आशंका है। हादसे के बाद बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्घालुओं में आक्रोश फैल गया। उन्होंने पुल पर चक्काजाम कर दिया और मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों से धक्कामुक्की की। पुलिस ने जब शवों को उठाने की कोशिश की तो लोगों ने पथराव कर दिया। इस हादसे के पीछे पुलिस द्वारा श्रद्घालुओं पर किया गया लाठीचार्ज भी एक अहम कारण रहा।

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    दतिया से 65 किमी दूर प्रसिद्घ रतनगढ़ वाली माता मंदिर पर रविवार को नवमी होने के कारण पांच लाख से अधिक श्रद्घालु पहुंच गए। पड़ोसी उत्तर प्रदेश से भी भारी संख्या में लोग दर्शन के लिए आए थे। मंदिर से एक किमी पहले सिंध नदी पर बने पुल से श्रद्घालु मंदिर के लिए जा रहे थे। इसी बीच पुलिस ने पैसे लेकर ट्रैक्टर-ट्राली व अन्य चार पहिया वाहनों को बैरियर के रास्ते पुल पर जाने दिया। इससे पुल पर जाम लग गया। मंदिर से दर्शन के बाद लोग इसी पुल से लौट भी रहे थे। इसी दौरान पुल पर पुलिस के कुछ जवानों ने जाम हटाने के लिए अफवाह फैला दी कि पुल टूटने वाला है। इस पर श्रद्धालु जान बचाने के लिए एक-दूसरे को कुचलते हुए भागने लगे। पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद हालात बिगड़ गए। आक्रोशित श्रद्धालुओं ने भी पथराव शुरू कर दिया और अफरातफरी की स्थिति बन गई।

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    मालूम हो कि सात साल पहले अक्टूबर, 2006 में नवमी के दिन ही रतनगढ़ माता मंदिर से एक किमी दूर सिंध नदी का जलस्तर एकाएक बढ़ जाने से नाव में सवार सौ से ज्यादा लोग बह गए थे। इनमें से 49 श्रद्घालुओं की मौत हो गई थी। उस समय यह पुल नहीं बना था। शिवपुरी के मड़ीखेड़ा डैम से अधिकारियों ने बिना किसी चेतावनी के नदी में भारी मात्रा में पानी छोड़ दिया था। हादसे के फौरन बाद तत्कालीन कलेक्टर व एसपी को निलंबित कर दिया गया था। प्रदेश सरकार ने मामले की जांच के लिए एक आयोग भी गठित किया था, जिसकी रिपोर्ट आज तक पेश नहीं की गई। हादसे के बाद ही पुल का निर्माण हुआ।

    काफी देर तक बिखरे रहे शव

    पुलिस ने जब लाठियां बरसानी शुरू कीं तो घटनास्थल पर तनाव फैल गया। नाराज लोगों ने पुलिस को शव नहीं उठाने दिया। इसकी वजह से देर शाम तक पुल पर शव बिखरे पड़े रहे। मौके पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर सोलंकी के साथ लोगों ने धक्कामुक्की की। एक श्रद्धालु ने तो उनका कॉलर तक पकड़ लिया। सोलंकी ने बताया कि रात 11 बजे तक 109 लोगों का पोस्टमार्टम कराया जा चुका था।

    डेढ़-डेढ़ लाख मुआवजा, जांच होगी

    भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। इसके अलावा मरने वाले श्रद्धालुओं के परिजनों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की गई। गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार और चोटिल लोगों को 25 हजार रुपये दिए जाएंगे। चंबल रेंज के डीआइजी डीके आर्य ने बताया कि पुल टूटने की अफवाह के चलते ही भगदड़ मची है। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।

    किसने, क्या-कहा

    ''मैं इस घटना से काफी व्यथित हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।''

    -प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति

    ''त्योहार के इस मौके पर हम पीड़ित परिवारों के साथ हैं।''

    -मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री

    ''भगदड़ में अपनों को खोने वाले श्रद्धालुओं के प्रति मेरी हमदर्दी है।''

    -सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष

    तीर्थ स्थानों पर भगदड़27 अगस्त, 2003: नासिक कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान हुई भगदड़ से 39 श्रद्धालुओं की मौत, जबकि 125 से ज्यादा घायल।

    25 जनवरी, 2005: महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधार देवी मंदिर में सालाना तीर्थाटन के दौरान भगदड़ में 340 भक्तों की मौत।

    3 अगस्त, 2008: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर स्थित नैना देवी मंदिर में भूस्खलन की अफवाह के चलते मची अफरातफरी से 162 श्रद्धालुओं की मौत, 47 घायल।

    10 अगस्त, 2008: कोटा जिले में प्राचीन महादेव मंदिर की सीढि़यां टूटने से दो तीर्थयात्रियों की मौत।

    30 सितंबर, 2008: जोधपुर के चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़, 249 श्रद्धालुओं की मौत, 400 से अधिक घायल।

    04 मार्च, 2010: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ स्थित कृपालु जी महाराज के आश्रम में मची भगदड़ में 63 लोग मारे गए। इनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे।

    14 जनवरी, 2011: केरल के सबरीमाला में मकर ज्योति के पावन दिन पर हुई भगदड़ में 104 लोग मारे गए।

    19 नवंबर, 2012: पटना में छठ पूजा के दौरान गंगा नदी के पुल पर मची अफरातफरी में 18 लोग मारे गए।

    11 फरवरी, 2013: इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 37 श्रद्धालु मारे गए। ये लोग महाकुंभ से पुण्य कमाकर लौट रहे थे।

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