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    खुदरा निवेशकों को बाजार की तेजी भी नहीं रही लुभा

    By Manoj YadavEdited By:
    Updated: Sat, 31 Jan 2015 08:36 PM (IST)

    खुदरा निवेशकों को शेयर बाजार में लाने की कवायद में कोल इंडिया का विनिवेश बहुत अधिक सफल नहीं हो पाया। यहां तक कि कोल इंडिया जैसी बड़ी सरकारी कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री भी खुदरा निवेशकों को खींचने में बहुत अधिक सफल नहीं हो पाई। खुदरा निवेशकों के लिए

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खुदरा निवेशकों को शेयर बाजार में लाने की कवायद में कोल इंडिया का विनिवेश बहुत अधिक सफल नहीं हो पाया। यहां तक कि कोल इंडिया जैसी बड़ी सरकारी कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री भी खुदरा निवेशकों को खींचने में बहुत अधिक सफल नहीं हो पाई। खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सा केवल 44 फीसद ही बिक पाया।

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    बीते साल मई के बाद से ही शेयर बाजार लगातार उठान पर है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद शेयर बाजार लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है। शुक्रवार को तो बंबई शेयर बाजार का सूचकांक तीस हजार के अंक को छूने के करीब पहुंच गया। इंडिया इंक से लेकर विदेशी संस्थागत निवेशक तक घरेलू शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। लेकिन, बाजार के जानकारों का कहना है कि इन सबके बावजूद खुदरा निवेशक अभी भी शेयर बाजार में नहीं लौटे हैं।

    बाजार में स्थायित्व के लिए खुदरा निवेशकों को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आमतौर पर खुदरा निवेशकों का निवेश लंबी अवधि का होता है। लिहाजा यह निवेश बाजार में स्थायी भाव लाता है। यह और बात है कि शेयर बाजार की इस तेजी में खुदरा निवेशकों ने अभी तक खुलकर बाजार का रुख नहीं किया है। न केवल प्रमुख एक्सचेंज खुदरा निवेशकों को बाजार में लाने के प्रयास में जुटे हैं, बल्कि सरकार की भी कोशिश है कि शेयर बाजार की वृद्धि का लाभ उठाने में खुदरा निवेशक भी किसी न किसी रूप में भागीदारी करें।

    माना जाता है कि खुदरा निवेशक प्राथमिक पूंजी बाजार की तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं। उसमें बेहतर रिटर्न पाने के बाद वे शेयर बाजार में हाथ आजमाते हैं। यही सोचकर सरकार ने कोल इंडिया के विनिवेश में बिक्री के लिए प्रस्तुत इक्विटी में बीस फीसद हिस्सेदारी खुदरा निवेशकों (दो लाख रुपये तक का निवेश करने वाले) के लिए आरक्षित रखी थी। इतना ही नहीं विनिवेश में कोल इंडिया के शेयर पर खुदरा निवेशकों को पांच फीसद डिस्काउंट भी दिया गया। इसके बावजूद आरक्षित हिस्सा केवल 44 फीसद ही बिक पाया। बाकी बचे हिस्से को गैर खुदरा निवेशकों को ही आवंटित करना पड़ा।

    पढ़ेंः कोल इंडिया में विनिवेश का विरोध