इक्कीस फर्मो पर 42.5 करोड़ रुपये जुर्माना
मुंबई। बाजार नियामक सेबी ने भारतीय ग्लोबल इंफोमीडिया [बीजीआइएल] के शेयरों में गड़बड़ी करने के मामले में 21 फर्मो पर 42.50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इन फर्मो को बीजीआइएल की लिस्टिंग के दिन इसके शेयरों में हेराफेरी करने का दोषी पाया गया है। सेबी की जांच में पाया गया कि ये सभी 21 फर्मे एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं औ
मुंबई। बाजार नियामक सेबी ने भारतीय ग्लोबल इंफोमीडिया [बीजीआइएल] के शेयरों में गड़बड़ी करने के मामले में 21 फर्मो पर 42.50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इन फर्मो को बीजीआइएल की लिस्टिंग के दिन इसके शेयरों में हेराफेरी करने का दोषी पाया गया है।
सेबी की जांच में पाया गया कि ये सभी 21 फर्मे एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और इन्होंने बीजीआइएल के शेयरों में ओनरशिप में बदलाव के उद्देश्य से सांठगांठ करके कारोबार किया। इन फर्मो ने एक-दूसरे से मिलकर सिक्रोनाइज्ड और सर्कुलर ट्रेडिंग की। सेबी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक इन सभी फर्मो पर कुल 42.50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वीपी पटेल एंड मारुतिनंदन इंफोसॉल्यूशंस पर सबसे ज्यादा छह-छह करोड़ रुपये का जुर्माना लगा है। कॉर्प सिक्योरिटीज पर पांच करोड़ रुपये और जीआरडी सिक्योरिटीज, स्विफ्ट टाइ-अप एवं जालान सीमेंट वर्क्स पर तीन-तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगा है।
जीआरडी सिक्योरिटीज, कॉर्प सिक्योरिटीज, विमगी इन्वेस्टमेंट्स, प्रेम सोमानी शेयर ब्रोकर्स, शाश्वत स्टॉक ब्रोकर्स, श्री बाहुबली इंटरनेशनल और पीईएलएफ फिनस्टॉक पर ब्रोकर नियमों के उल्लंघन के मामले में भी जुर्माना लगाया गया है। सेबी ने कहा कि श्री बाहुबली इंटरनेशनल और पीईएलएफ फिनस्टॉक ने फर्जी तरीके से कारोबार के जरिये विभिन्न कंपनियों को शेयर बेचने का मौका दिया। इससे नकली कारोबार हुआ और कंपनी की शेयर कीमत पर बुरा असर पड़ा।
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सेबी के मुताबिक इन कंपनियों ने इस फर्जीवाडे़ के जरिये 12.80 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया। सेबी ने बीजीआइएल के आइपीओ और इसकी लिस्टिंग के दिन 28 जुलाई, 2011 को हुई ट्रेडिंग की जांच की है। इस दिन कंपनी का शेयर बीएसई में 81.9 रुपये पर खुला और 83 रुपये की ऊंचाई पर जाने के बाद यह 29.90 रुपये पर गिरकर बंद हुआ। एनएसई पर भी यह शेयर 84 रुपये पर खुला और 30.95 रुपये पर बंद हुआ।
सेबी ने एक अन्य मामले में मफतलाल फाइनेंस कंपनी और इसके दो प्रमोटरों पर भी कुल 28 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इन पर डिस्क्लोजर नियमों के उल्लंघन का आरोप है। नियमों के तहत वित्त वर्ष समाप्त होने के 21 दिन के भीतर कंपनियों को सालाना डिस्क्लोजर सेबी को सौंपना होता है। मगर मफतलाल फाइनेंस तय समय में इसे देने में नाकाम रही।
जुर्माने के नियम करेगा स्पष्ट :
जुर्माने के नियमों में पारदर्शिता लाने के लिए बाजार नियामक सेबी इन नियमों में और स्पष्टता लाएगा। फिलहाल सेबी किसी फर्म पर अधिकतम 25 करोड़ रुपये या कमाए गए अवैध लाभ का तीन गुना जुर्माना लगा सकता है। सेबी अधिकारियों का कहना है कि डिफॉल्टरों और नियमों के उल्लंघन के मामले में जुर्माने की रकम से संबंधित नियमों को और स्पष्ट बनाया जाएगा।
सेबी ने यह फैसला प्रतिभूति अपीलीय प्राधिकरण [सैट] के उस निर्देश के बाद लिया है जिसमें सैट ने जुर्माने की रकम को तार्किक बनाने को कहा है। कई मामलों में सैट सेबी की ओर से लगाए गए जुर्माने को या तो रद कर चुका है या जुर्माने की रकम में बदलाव कर चुका है।

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