गैस मूल्य वृद्धि की सुनवाई से न्यायाधीश ने खुद को किया अलग
सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने प्राकृतिक गैस मूल्य वृद्धि से जुड़े सरकार के विवादित फैसले को लेकर केंद्र व रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सोमवार को जब पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमणियन और पूर्व नौसेना प्र
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने प्राकृतिक गैस मूल्य वृद्धि से जुड़े सरकार के विवादित फैसले को लेकर केंद्र व रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
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न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सोमवार को जब पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमणियन और पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास सहित सिविल सोसाइटी के सदस्यों की याचिका सुनवाई के लिए आई तो उन्होंने कहा- 'मेरे समक्ष नहीं।' याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भी लंबित है। उन्होंने आग्रह किया कि यह मामला भी उसी पीठ को स्थानांतरित कर दिया जाए। न्यायमूर्ति दत्तू ने कोई आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया और बगैर कोई कारण बताए उन्होंने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते।
याचिका में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड [आरआइएल] और राजनीतिक प्रतिष्ठान में मिलीभगत का आरोप लगाते हुए यह जांच कराने की मांग की गई है कि कंपनी के कदाचार के खिलाफ केंद्र सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की? सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गठित विशेष जांच दल [एसआइटी] या सीबीआइ से इस मिलीभगत संबंधी पूरे प्रकरण की जांच कराने का आदेश जारी करने की मांग की गई है। ऐसी ही याचिका भाकपा सांसद गुरुदास दासगुप्ता ने दायर की थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई केंद्र और आरआइएल को नोटिस जारी किया है। सरकार ने हाल में एक अप्रैल 2014 से प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट [बीटीयू] प्राकृतिक गैस के मौजूदा मूल्य 4.2 डॉलर [करीब 274 रुपये] को बढ़ाकर दुगना करने का निर्णय लिया है। यह भी कहा गया है कि इस मूल्य की हर तीन माह पर समीक्षा की जाएगी।