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होली से पहले आरबीआइ का तोहफा, घटेगी लोन की ईएमआइ

वित्‍तीय वर्ष 2015-16 का बजट पेश होने के बाद आरबीआइ ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव किया है। आरबीआइ ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्‍वाइंट की कटौती की है। रेपो रेट में कटौती के बाद ब्‍याद दरों और इएमआइ में कमी होने की उम्‍मीद है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2015 08:59 AM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2015 12:23 PM (IST)

नई दिल्ली। वित्तीय वर्ष 2015-16 का बजट पेश होने के बाद आरबीआइ ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव किया है। आरबीआइ ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। इस कटौती के बाद रेपो रेट अब 7.5 फीसद हो गया है, इससे पहले यह 7.75 फीसद था।

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हालांकि आरबीआई ने सीआरआर (कैश रिजर्व रेश्यो) बिना किसी बदलाव के 4 फीसदी पर ही स्थिर रखा है। इस कटौती के बाद रिवर्स रेपो रेट में भी 0.25 फीसदी की कमी हो गई है और ये 6.75 फीसदी से घटकर 6.50 फीसदी हो गया है। रेपो रेट में कटौती के बाद ब्याद दरों और ईएमआइ में कमी होने की उम्मीद है। बजट में हुए ऐलानों के बाद माना जा रहा था कि आरबीआई दरों में कटौती कर सकता है।

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क्या होता है रेपो रेट?
रोजमर्रा के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी-बड़ी रकमों की जरूरत पड़ती है, और ऐसी स्थिति में वो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) से लोन लेते हैं। इस तरह के ओवरनाइट लोन पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट?
यह रेपो रेट का बिल्कुल उल्टा होता है, जैसा इसके नाम से ही साफ है। जब कभी बैंकों के पास दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकमें बची रह जाती हैं, वे उस रकम को रिजर्व बैंक में जमा करते हैं, जिस पर आरबीआइ उन्हें ब्याज दिया करता है। रिजर्व बैंक इस ओवरनाइट रकम पर जिस दर से ब्याज अदा करता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

क्या होता है सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात)?
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है, जिसे कैश रिजर्व रेश्यो अथवा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है।

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