रैनबैक्सी के चौथे प्लांट पर भी अमेरिकी पाबंदी
वाशिंगटन। अमेरिकी खाद्य एवं दवा नियामक [एफडीए] ने फार्मा कंपनी रैनबैक्सी को एक और झटका दिया है। नियामक ने भारत स्थित कंपनी के एक और प्लांट के उत्पादों पर आयात पाबंदी लगा दी है। साथ ही न्यूजर्सी स्थित ओहम लैबोरेटरीज इकाई में बनी दवाओं को भी अमेरिकी बाजार में बिक्री से प्रतिबंधित कर दिया है। इससे पहले एफडीए कंपनी के तीन प्लां
वाशिंगटन। अमेरिकी खाद्य एवं दवा नियामक [एफडीए] ने फार्मा कंपनी रैनबैक्सी को एक और झटका दिया है। नियामक ने भारत स्थित कंपनी के एक और प्लांट के उत्पादों पर आयात पाबंदी लगा दी है। साथ ही न्यूजर्सी स्थित ओहम लैबोरेटरीज इकाई में बनी दवाओं को भी अमेरिकी बाजार में बिक्री से प्रतिबंधित कर दिया है। इससे पहले एफडीए कंपनी के तीन प्लांटों पर रोक लगा चुका है।
विनिर्माण नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए एफडीए ने पंजाब के तोआंसा स्थित प्लांट पर ताजा रोक लगाई है। यहां दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले जरूरी तत्व बनाए जाते हैं। अब इस प्लांट में बने उत्पादों की भी कंपनी अमेरिका में बिक्री नहीं कर सकेगी। गुरुवार को जारी आदेश में एफडीए ने तोआंसा प्लांट में बने फार्मा तत्व को रैनबैक्सी की अन्य इकाइयों सहित अन्य कंपनियों को उपलब्ध कराने से प्रतिबंधित किया है। एफडीए के दवा मूल्यांकन एवं शोध केंद्र के कार्यकारी निदेशक कैरोल बेनेट ने कहा कि हम कमजोर गुणवत्ता के उत्पाद अमेरिकी उपभोक्ताओं तक पहुंचने से रोकने के लिए तेजी से कदम उठा रहे हैं।
रैनबैक्सी के एमडी और सीईओ अरुण साहने ने कहा कि यह पाबंदी पूरी तरह से अस्वीकार्य है। कंपनी प्रबंधन आंतरिक जांच पूरी होने पर उचित कदम उठाएगा। रैनबैक्सी की जापानी प्रवर्तक दायची सैंक्यो ने इसकी पुष्टि की है कि कंपनी के तोआंसा प्लांट पर रोक लगाई गई है। कंपनी यूएसएफडीए के साथ सहयोग करेगी। अमेरिकी नियामक की इस कार्रवाई के बाद बंबई शेयर बाजार [बीएसई] में रैनबैक्सी के शेयर 19.54 फीसद की भारी गिरावट के साथ 335.65 रुपये पर बंद हुए।
जानकारों का कहना है कि तोआंसा प्लांट पर रोक लगने से अमेरिका में रैनबैक्सी के कारोबार पर खासा असर पड़ सकता है। अमेरिकी बाजार से कंपनी को 40 फीसद आय हासिल होती है। इससे पहले एफडीए ने सितंबर में कंपनी के पंजाब के ही मोहाली प्लांट को लेकर अलर्ट जारी किया था।
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वहीं, हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब और मध्य प्रदेश के देवास प्लांट वर्ष 2008 से ही नियामक के अलर्ट के दायरे में है। पिछले साल मई में रैनबैक्सी ने अपनी दवाओं में मिलावट के आरोप स्वीकार किए थे। इस मामले में कंपनी पर 50 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया गया था।
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