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बिजली वितरण कंपनियां घाटा दूर करने के करें उपाय- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिजली वितरण कंपनियों से अपना निष्पादन सुधारने और घाटे में कमी लाने को कहा है। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के प्रमुखों के साथ सोमवार सुबह हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने वितरण कंपनियों के बढ़ते घाटे पर चिंता प्रकट की। बिजली वितरण कंपनियों का संयुक्त घाटा तीन

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2015 10:02 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2015 10:20 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिजली वितरण कंपनियों से अपना निष्पादन सुधारने और घाटे में कमी लाने को कहा है। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के प्रमुखों के साथ सोमवार सुबह हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने वितरण कंपनियों के बढ़ते घाटे पर चिंता प्रकट की। बिजली वितरण कंपनियों का संयुक्त घाटा तीन लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है।

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वित्तीय संकट से जूझ रही इन कंपनियों में कई की हालत इतनी खराब है कि इनके पास बिजली खरीदने तक के पैसे नहीं बचे हैं। सरकार जल्द से जल्द सभी को बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य पर काम कर रही है। लिहाजा चर्चा है कि इनके पुनरुद्धार पैकेज पर विचार हो हरा है। केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल बिजली वितरण कंपनियों को किसी प्रकार का पैकेज देने की संभावनाओं से इन्कार कर चुके हैं। पिछले महीने उन्होंने कहा था, ‘सरकार पुनरुद्धार पैकेज देने की तिजोरी नहीं है। वितरण कंपनियों को अपना घाटा खुद ही दूर करना होगा। हमें पता है कि कुछ राज्य गंभीर संकट में हैं। केंद्र सरकार केवल वितरण कंपनियों के पुनरुद्धार में मददगार साबित हो सकती है। हम घाटे की भरपाई नहीं कर सकते।’

वित्तीय पुनर्गठन पैकेज (एफआरपी) के विस्तार पर गोयल ने कहा था, ‘सरकार ने पुरानी योजना को किसी तरह का विस्तार नहीं दिया है।’ तीन वर्षीय एफआरपी को मूल रूप से अप्रैल, 2012 में घोषित किया गया था और अक्टूबर, 2013 से लागू किया गया था। घाटे के बोझ से दबी बिजली वितरण कंपनियों की विद्युत क्रय क्षमता बढ़ाने तथा बैंकों को कर्ज वसूली में मदद के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने सितंबर, 2012 में राज्य डिस्कॉम के वित्तीय पुनर्गठन की स्कीम मंजूर की थी।

गोयल के अनुसार, ‘एफआरपी लंबे समय तक चलने वाली चीज नहीं थी। इसे मार्च, 2012 में अंतिम रूप दिया गया था और अक्टूबर, 2013 से लागू किया गया था। तब तक डिस्कॉम के घाटे में तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त इजाफा हो चुका था। फलस्वरूप इस योजना को कभी लागू ही नहीं किया जा सका।’

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