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    देश में जल्द बंद हो जाएगा पेट्रोलियम उत्पादों का आयात: गडकरी

    रोप में एक टन धान की भूसी से 400 लीटर एथेनॉल हासिल किया जा रहा है। ऐसी ही तकनीक भारत में भी विकसित की जा रही है। अब बांस से एथेनॉल तैयार करने पर भी काम चल रहा है।

    By Atul GuptaEdited By: Updated: Tue, 06 Sep 2016 10:40 PM (IST)

    नई दिल्ली, प्रेट्र । केंद्र सरकार पेट्रोलियम ईंधन के विकल्पों को तेजी से विकसित करने में जुटी हुई है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मानें तो नए विकल्पों को आने से भारत जल्द ही पेट्रोलियम आयात मुक्त देश बन जाएगा। यानी देश पेट्रोलियम उत्पादों का आयात बंद कर देगा। गडकरी मेथेनॉल इकोनॉमी पर नीति आयोग के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।

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    गडकरी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम कीमतों के बावजूद फिलहाल देश कच्चे तेल (क्रूड) के आयात पर करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये सालाना पर खर्च करता है। कुछ साल पहले जब क्रूड के दाम ऊंचे थे, तो इसका वार्षिक आयात बिल सात लाख करोड़ रुपये था।

    यही वजह है कि अब सरकार इसे कम करने पर जोर दे रही है। इसके लिए एथेनॉल, मेथेनॉल और बायो-सीएनजी जैसे विकल्प विकसित किए जा रहे हैं। अब समय आ गया है कि खेती का विविधीकरण किया जाए, क्योंकि खेती से ही ये उत्पाद हासिल किए जा सकते हैं। भारत दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से दौड़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। फिलहाल यह खेती, बांस, अतिरिक्त कोयले और बिजली का लाभ उठाने के लिए सुनहरा मौका है।

    वर्तमान में सामाजिक और आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं है। खेती में अब भी बहुत सी दिक्कतें हैं। इनकी वजह से देशभर में किसान खुदकशी कर रहे हैं। अकेले महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में ही 10 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। ऐसे में राजग सरकार कृषि के विविधीकरण के जरिये किसानों की हालत सुधारना चाहती है।

    केंद्र उन विकल्पों पर अधिक ध्यान दे रहा है, जिन्हें किसान अक्सर बेकार समझते हैं। इनमें धान और गेहूं का भूसा शामिल है। यूरोप में एक टन धान की भूसी से 400 लीटर एथेनॉल हासिल किया जा रहा है। ऐसी ही तकनीक भारत में भी विकसित की जा रही है। अब बांस से एथेनॉल तैयार करने पर भी काम चल रहा है। इसके लिए भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र बहुत मुफीद होगा। इसके चलते वहां के किसानों की माली हालत बेहतर बनाई जा सकती है। इसी तरह कई अन्य विकल्प हैं, जिनसे बायो डीजल और कई तरह के ईंधन प्राप्त किए जा सकते हैं। इससे देश को करीब पांच लाख करोड़ रुपये सालाना की बचत होगी। इस मामले में देरी के लिए गडकरी ने नौकरशाही की खिंचाई की। उन्होंने कहा कि देश में निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने की सख्त जरूरत है।

    स्टार्ट अप में पैसे लगाएं पीएसयू : प्रधान

    तेल एवं गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) से निजी क्षेत्र की तरह स्टार्ट अप फंड बनाने की अपील की। सार्वजनिक क्षेत्र इनोवेशन को बढ़ावा देने और नए विचारों को प्रोत्साहित करने के लिए आगे आए। प्रधान भी नीति आयोग के इस कार्यक्रम में मौजूद थे।

    प्रधान ने कहा, 'मैं पीएसयू के सीईओ को सुझाव दे रहा हूं कि अगर रतन टाटा और नारायण मूर्ति अपनी निजी पूंजी को स्टार्ट अप में लगा सकते हैं, तो आप क्यों नहीं कर सकते हैं। यह सभी के लिए बढि़या मौका होगा। ओएनजीसी ने पहले ही स्टार्ट अप के लिए 100 करोड़ रुपये के फंड का प्रस्ताव किया है।'

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